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________________ षष्ठ वर्ग-8-9 अध्ययन ] 153} अट्ठममज्झयणं-अष्टम अध्ययन मूल एवं हरिचंदणे वि गाहावई, सागेए नयरे, वारस वासा परियाओ, विपुले सिद्धे ।।8।। संस्कृत छाया- एवं हरिचंदनः अपि गाथापतिः, साकेतं नगरं, द्वादश वर्षाणि पर्याय:, विपुले सिद्धः ।।8।। अन्वयार्थ-एवं हरिचंदणे विगाहावई, = इसी प्रकार हरिचंदन गाथापति, सागेए नयरे = साकेत नगर वासी, वारस वासा परियाओ, विपुले सिद्धे = बारह वर्ष तक दीक्षा पालन कर विपुल पर्वत पर सिद्ध हुए।।8।। भावार्थ-ऐसे ही आठवें हरिचन्दन गाथापति भी थे। वे भी साकेत नगर के निवासी थे। उन्होंने भी बारह वर्ष तक श्रमण-चारित्र का पालन किया और अन्त में विपुलगिरि पर से सिद्ध हुए। ।। इइ अट्ठममज्झयणं-अष्टम अध्ययन समाप्त।। नवममज्झयणं-नवम अध्ययन मूल एवं वारत्तए वि गाहावई, नवरं रायगिहे नयरे, बारसवासा परियाओ, विपुले सिद्धे ॥७॥ संस्कृत छाया- एवं वारत्तकः अपि गाथापतिः, विशेष: राजगृहं नगरं द्वादश वर्षाणि पर्याय:, विपुले सिद्धः 19। अन्वयार्थ-एवं वारत्तए वि गाहावई, = इसी प्रकार वारत्त गाथापति, नवरं रायगिहे नयरे, बारसवासा परियाओ = राजगृह नगर वासी बारह वर्ष दीक्षा, अन्त में, विपुले सिद्धे = विपुल पर्वत पर सिद्ध हो गये ।।9।। भावार्थ-इसी तरह नवमें वारत्त गाथापति थे। विशेष यह था कि ये राजगृह नगर के रहने वाले थे। बारह वर्ष का चारित्र पालन कर वे विपुलगिरि पर सिद्ध हुए। ।। इइ नवममज्झयणं-नवम अध्ययन समाप्त ।।
SR No.034358
Book TitleAntgada Dasanga Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimalji Aacharya
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages320
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_antkrutdasha
File Size2 MB
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