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षष्ठ वर्ग - तृतीय अध्ययन ]
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संस्कृत छाया- ततः खलु स: मुद्गरपाणियक्ष: अर्जुनस्य मालाकारस्य इदम् एतद् रूपम् अध्यवसायं
यावत् विज्ञाय, अर्जुनस्य मालाकारस्य शरीरम् अनुप्रविशति, अनुप्रविश्य, 'तडतड' इतिशब्देन बन्धनानि छिनत्ति, तं पलसहस्रनिष्पन्नम् अयोमयं मुद्गरं गृह्णाति, गृहीत्वा तान् स्त्रीसप्तमान् षट् पुरुषान् घातयति तत: खलु स: अर्जुन: मालाकार: मुद्गरपाणिना यक्षेण अन्वाविष्ट: सन् राजगृहस्य नगरस्य परिपर्यन्ते
खलु कल्याकल्यिं स्त्रीसप्तमान् षट् पुरुषान् घातयन् विहरति । अन्वायार्थ-तए णं से मोग्गरपाणिजक्खे = तब उस मुद्गरपाणि यक्ष ने, अज्जुणयस्स मालागारस्स = अर्जुनमालाकार के, अयमेवारूवं अज्झत्थियं जाव = इस प्रकार के मनोगत भावों को, वियाणित्ता, अज्जुणयस्स मालागारस्स = यावत् जानकर, अर्जुन मालाकार के, सरीरयं अणुप्पविसइ = शरीर में प्रवेश कर लिया, अणुप्पविसित्ता तडतडस्स = प्रविष्ट होकर तड़-तड़ करके, बंधाई छिंदइ = सब बन्धनों को काट दिया, तं पलसहस्सणिप्फण्णं अओमयं = और उस हजार पलभार से निर्मित लोहे के, मोग्गरं गिण्हइ, गिण्हित्ता = मुद्गर को लेकर उन, ते इत्थिसत्तमे छ पुरिसे घाएइ = स्त्री जिनमें सातवीं है ऐसे छहों गोष्ठी पुरुषों को मार डालता है। तए णं से अज्जुणए मालागारे = तब वह अर्जुन मालाकार, मोग्गरपाणिणा जक्खेणं = मुद्गरपाणि यक्ष से, अणाइट्ठे समाणे रायगिहस्स = आविष्ट होकर राजगृह, नयरस्स परिपेरंते णं = नगर के आसपास चारों ओर, कल्लाकल्लिं इत्थिसत्तमे छ पुरिसे = प्रतिदिन छ: पुरुषों और सातवीं स्त्री को, घाएमाणे विहरइ = मारता हुआ विचरने लगा।
भावार्थ-तब मुद्गरपाणि यक्ष ने अर्जुनमाली के इस प्रकार के मनोगत भावों को जानकर उस के शरीर में प्रवेश किया और उसके बन्धनों को तड़ातड़ तोड़ डाला।
____ अब उस मुद्गरपाणि यक्ष से आविष्ट उस अर्जुन माली ने उस हजार पल भार वाले लोहमय मुद्गर को हाथ में लेकर अपनी बन्धुमती भार्या सहित उन छहों गौष्ठिक पुरुषों को उस मुद्गर के प्रहार से मार डाला।
इस प्रकार इन सातों प्राणियों को मारकर मुद्गरपाणि यक्ष से आविष्ट (वशीभूत) वह अर्जुनमाली राजगृह नगर की बाहरी सीमा के आस-पास चारों ओर 6 पुरुष और 1 स्त्री को मिला कर 7 प्राणियों की प्रतिदिन हत्या करते हुए घूमने लगा। सूत्र 7 मूल- तए णं रायगिहे नयरे सिंघाडग जाव महापहेसु बहुजणो अण्णमण्णस्स
एवमाइक्खइ ‘‘एवं खलु देवाणुप्पिया ! अज्जुणए मालागारे मोग्गरपाणिणा जक्खेणं अणाइट्ठे समाणे रायगिहे बहिया इत्थिसत्तमे छ