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श्री रत्नप्रभाकर ज्ञानपुष्पमाला-पुष्प नम्बर ६९:
अथश्री शीघ्रबोध भाग २५वा.
___ थोकडा नं० १ । सूत्र श्री भगवतीजी शतक १ उद्देशो १ लो
श्री भगवती सुत्रकि आदिमें गणधर भगवान पञ्च परमेष्टीको नमस्कार करके श्री श्रुत ज्ञानको नमस्कार किया है।
राजगृहनगर गुणशलोद्यान श्रेणकराजा चेलणाराणी अभयकुमार मंत्री भगवान वीरप्रभुका मागम इन्द्रमृति (गौतम) गणधर इन्ह सवका वर्णन करते हुवे विशेष उत्पातिक सूत्रको भोलामण दि है। ____ भगवान वीरप्रभु एक समय रानगृह उद्यानमें पधारेथे. राजा श्रेणक आदि नगर निवासी भव्व भगवानकों वन्द करनेको आये। भगवानकि अमृतमय देशना पान कर स्वस्थानपर गमन किया । ____ गौतमस्वामिने वन्दन नमस्कार कर भगवानसे अभ करी कि हे करूणा सिन्धु
(१) चलना प्रारंभ किया उसे चलीया ही केहना । (२) उदीरणा प्रारंभ किया उसे उदीरीया ही केहना । (३) वेदना प्रारंभ किया उसे वेदीया ही केहना । (४) प्रक्षिण करना प्रारंभ किया उसे पक्षिण कियाही कहना (५) छेदना प्रारंभ किया उसे छेदाहुवा ही केहना। (६) भेदना प्रारंभ किया उसे भेदाहुवा ही केहना ।