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(७०) (११) भगवती सुत्र हालकि टोक अभयदेव सुरि रचीत है।
___ इस भगवती सूत्रका पांच नाम है । (१) श्री भगवती सूत्र लोक प्रसिद्ध नाम (२) पांचम अंग द्वादशाङ्गीके अन्दरका नाम (३) विवहा पण्णन्ति मूल प्राकृत भाषाका नाम (४) शिव शान्ति पूर्व महा ऋषियोंका दीया हुवा (५) नवरंगी नये नये प्रश्नोत्तर होनासे
इस महान् प्रभावशाली पञ्चमाङ्ग भगवती सूत्रकि सेव भक्ति उपासना पठन पाठन मनन करनेसे जीवोंको ज्ञान दर्शन चारित्रका लाभ होते है । भगवती सूत्र अनादि कालसे तीर्थकर भगवान फरमाते आये है इसकि आराधन करनेसे भूतकालमें अनन्ते जीव मोक्षमें गये है। वर्तमानकाले (विदहक्षेत्र) मोक्ष जाते है भविष्य. कालमें अनन्ते जीव मोक्ष जावेगा इति शम्
भगवती सूत्र शतक उदेशा तथा प्रश्नोत्तरके अन्तमें भगवान गौतम स्वामि " सेवं भंते सेवं भते " एसा शब्द कहा है। यह अपन विनय भक्ति और भगवान वीर प्रभु प्रते पूज्य भाव दर्शा रहे है । हे भगवान आपके बचन सत्य है श्रेयस्कार है भव्यात्मावोंके कल्याण कर्ता है इत्यादि वास्ते यहां भी प्रत्यक थोकडाके अन्तमें यह शब्द रखा गया है । इति
सेवं भंते सेवं भंते तमेव सचम् ।