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(.५५) (४) बन्धवेदनिय कर्भके बन्धक बहु। शेष सातों कर्मों का कधक मी घणा अवन्धक भी घणा ।
(५) उदय-सात कौके उदयवाला वणा. मोहनिय कर्मक उदयवाले घणा तथा अनोदयशाला भी बगा।
(६) उदिरणा, नाम गौत्र कर्मोंके जरिक घणा, शेष छे कर्मोंका उदिरक तथा अनुदिरक मी घगा।
(७) वेदे-सात कर्मों का वेदका घमा, मोहनिय कर्मका वेदका अनवेदका भी बगा।
(८) अवगाहाना ३० १००० मोनाकि । (९) लेश्या-कृष्ण यावत् शुक्ल लेश्यावाले मी वगा (१०) दृष्टी-सम्य० मिथ्यः मिश्र० । (११) ज्ञान-ज्ञानी अज्ञानी दोनों को (१२) योग-मन वचन कायाले (१३) उपयोग-साकार अनाका व ले (१४) वर्णादि-एकेन्द्रिय माफीक (१५) उश्वासगा , , (१६) बाहार , , (१७) व्रतिवति अत्रति जाति (१८) क्रिया-सक्रिय घणा (१९) बन्ध ७-८-६-१ ३ौके बन्धने वाले, (२०) संज्ञा, च्यारों संज्ञावाले तथानो संज्ञा , (२१) कषाय, च्यारों कषायवाले तथा अपाय,, (२२) वेद तीनोंवेद तथा अवेदी ,