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(५४) ___ पोकडा नं० १६ सूत्र श्री भगवतीजी शतक ३९ वां - ( अज्ञी पांचेन्द्रिय महायुम्मा)
जीत रीतसे चौरिन्द्रिय महायुम्मा शतक कहा है इसी माफीक यह असंज्ञो पांचेन्द्रिय महायुम्मा शतक समझना परन्तु (१) अब. गाहना ज० अंगुलके असंख्यातमें माग उत्कृष्ट १००० योननकि (२) इन्द्रिय पाचों है (१) अनुबन्ध जघय एक समय उ० प्रत्येक कोडपूर्वका (४) स्थिति म० एक समय उ० कोडपूर्व के वर्षोंकि (५) चचन ४९ स्थान पूर्ववत् समझना । प्रत्येक अन्तर शतकके इग्यारा इग्यार उदेशा पूर्ववत् करनेसे बारहा अन्तर शतकके १३२ उदेशा हुआ । इति एकुनचालीसवा शतक समाप्तम् ।
सेवं भंते सेवं भंते तमेव सच्चम् ।
थोकडा नम्बर १७ मुत्र श्री भगवतीजी शतक ४० वां
( संज्ञी पांचेन्द्रिय महायुम्मा) महायुम्मा १६ प्रकारके है परिमाण एकेन्द्रिय महायुम्मा शतकमें लिखा आये है। यहांपर क्डयुम्मा कडयुम्मा संज्ञो पांचेन्द्रिय कहांसे आके उत्पन्न होते है तथा ३१ द्वार बतलाते है।
(१) उत्पात सर्व स्थानोंसे आके उत्पन्न होते है। (२) परिमाण-१६-३२-४८ यावत असंख्याते । (३) अपहरण-यावत असंख्याति उत्सपिणि १