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(५३) (१) अवगाहाना न० अंगुटके असंख्यातमें माग उत्कृष्ट तीन गाउकि केहना।
(२) महायुम्मायोंकि स्थिति जघन्य एक समय उत्कृष्ट एकुण पचाप्त अहोरात्रीकि कहना। .(३) इन्द्रय तीन घणेन्द्रिय सेन्द्रिय स्पर्शेन्द्रिय कहना ।
शेषाधिकार बेन्द्रियमहायुम्मा माफीक समझना इति ३७१२-१३२ इति सेतीत्वा शतक समाप्तम्
सेवं भंते से भेत तमेव सच्चम् ।
__ थोकडा नंबर १५. सूत्र श्री भगवतीजी शतक ३८ वां
(चौरिद्रिय महायुम्मा) जीस रीतिसे तेन्द्रिय महायुम्मा शतक कहा है इसी माफक यह चौरिंद्रिय महायुम्मा शतक समझना । विशेष इतना है।
(१) अवगहाना जघन्य अंगुलके असंख्यातमे माग उत्कृष्ट च्यार गाउकि है।
(२) स्थिति-जघन्य एक समय, उत्कृष्ट छेमास (३) इन्द्रिय, क्षुन्द्रिय, घणेन्द्रिय रसेन्द्रिय स्पर्शेन्द्रिय ।
शेषाधिकार तेन्द्रिय माफीक इति ३८-१२-१३२ इति अडतीशवां शतक समाप्तम् ।
. . सेवं भंते सेवं भंते तमेव सच्चम् ।