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(३४) (3) पृथ्व्यादि पांच सूक्ष्म पांच बादर एवं दशोंका अपर्याप्ता कारण अनान्तर अर्थात प्रथम समबके उत्पन्न जीवोंमें पर्याप्ता नहीं होते है इस लिये यहां दश भेद गीना गया है। ___इस दश प्रकारके जीवोंके आठ कर्मोंकि सत्ता है बन्ध सात कर्मका है क्योंकि मनान्तर समयके नीव आयुष्य कर्म नहीं बान्यते है और पूर्वोक चौदा प्रकृतिको वेदते है। मावना पूर्ववत इति ३१वां शतकका दुसरा उदेशा हुवा।।
(३) परम्पर उदेशो- परम्पर उत्पन्न हुवा एकेन्द्रियका २० भेद है जिस्के आठों कौकि सता, सात आठ कोका क्ध चौदा प्रकृति वेदे इति ३३-३।
(४) अनान्तर अवगाह्या एकेन्द्रिप पृथ्यादि पांच सूक्ष्म पांच बादरके मपर्यप्ता एवं १० प्रकारके है सत्ता आठ कर्मोकि बन्ध सात कौका चौदा प्रकृति वेदे इति ३३-४।
(५) परम्पर अवग्गमा एकेन्द्रियके वीस भेद है सत्ता आठ कोकि, बन्ध सात माठ कर्मो का चौदा प्रकृति वेदते है। ३३.५
(६) अनान्तर माहारिक उदेशा दुसरे उदेशाके माफक ३५-६ (७) परम्पर आहारीक ,, तीसरा , , ३३-७ (८) अनान्तर पर्याप्ता , दुसरे , , ३३-८ (९) परम्पर पर्याप्ता । , तीसरे ., ,, ३३-९ (१०) चरम उदेशा दुसरे , , ३३-१० (११) अचरम उदेशा दुसरे , , ३३.११ इस ग्यारा उदेशायोंमें च्यार उदेशा २-४-६-वामें सात