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आठ कमौकी, पन्ध सात कोका, कारण अनान्तर समयवालों के आयुष्यका बन्ध नहीं होता है। गौद प्रकृति वेदते है, शेष सात उदेशावोंमें, आठ कमौकी सत्ता। सात तथा आठ कोका बन्ध और चौदा प्रकृति वेदते है भावना प्रथमोदेशाकि माफीक इति ३३वां शतकका प्रथम अन्तर शतक समाप्तम् ।।
(२) कृष्णलेशी शतकके मी ११ उदेशा जिस्में २-१-६८वा उदेशामें दश दश भेद जीसके बाठ कर्मोकी सत्ता. सात कर्मोका बन्ध. चौदा प्रकृति वेद और शेष सात उदेशोंके षोस वीस भेद जिस्में आठ कर्मोकि सत्ता, ७ सात तथा आठ कोका बन्ध, चौदा प्रकृति वेद इति ३३-२।
(३) एवं निललेशीका इग्यारा उदेशा संयुक्त ३३-३ (४) एवं कापोतलेशीका इग्यारा उदेशा संयुक्त ३३-४
यह लेश्या संयुक्त च्यार अन्तर शतक समुञ्चय काहा है इसी माफोक लेश्या संयुक्त च्यार शतक मन्य जीवोंका और च्यार शतक अमन्य जीवोंका मी समझना पान्तु अमन्य शतक प्रत्येक शतक उदेशा नौ नौ कहना कारण चरम अचरम उदेशा अभव्यमें नहीं होता है सर्व बारहा अन्तर शतकके १२४ उदेशा है बिस्में १८ उदेशा अनान्तर समयके है निस्में एकेन्द्रिय के दश दश बोल अपर्याप्ता होनेसे ४८-१०=४८० बोलोंमें आठ कौकि सत्ता, सात कोका बन्ध और चौदा प्रकृति वेदते है शेष ७६ उद्देशमें एकेन्द्रियके वीस वीस भेद होनेसे १५१० बोलोंमें आठ कोकि सत्ता. सात आठ कोका बन्ध, चौद प्रकृति