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नेसे फारसे छंदो० संयम दिया जाता है (२) तेवीसवें तीर्थंकरों का साधु चौवीसवें तीर्थंकरोंके शासन में आते है उसको भी दो. संयम दिया जाते है वह निरातिच्यार छदो० संबम है (३) परिहार विशुद्ध संयमके दो भेद है (१) निवृतमान जेसे नौ मनुष्य नौ नौ वर्षके हो दीक्षाले वीस वर्ष गुरुकुलवासे नौ पूर्वका ध्ययन कर विशेष गुण प्राप्ति के लिये गुरु आज्ञासे परिहार विशुद्ध संयमको स्वीकार करे । प्रथम छेमास तक च्यार मुनि तपश्चर्य करे च्यार मुनि तपस्वी मुनियोंकि व्यावश्च करे एक मुनि व्याख्यान वाचे दुसरे छ मासमें तपस्वी मुनि व्यापच्च करे व्यापच्चयवाले तपश्चर्यकरे तीसरे छमाप्तमें व्याख्यान वाला तपश्चर्यकरे सातमुनी उन्होंकि ज्यावश्चकरे, एक मुनि व्याख्यान वांचे । तपश्चर्यका क्रमः उष्ण"कालमें एकान्तर शीतकालमें छट छट पारणा चतुर्माप्तामें अठम भठम पारणा करे, एसे १८ मासतक तपश्चर्य करे । जिनकल्पको स्वीकार करे अगर एसा नहोतो वापीस गुरुकुलनासाको स्वीकार करे ।
(४) सुक्ष्म संपराय संयमके दो भेद है । (१) संक्लश परिणाम उपशमश्रेणिसे गिरते हुवेके (२) विशुद्ध परिणाम क्षपकश्रेणि छड़ते हुवेके (५) यथाख्यात संयमके दो भेद है (१) उपशान्त वितरागी (२) क्षिवितरागी जिस्में क्षिणवितरागीके दो भेद है (१) दत (२) केवली निमें केवलोका दोय भेद है (१) संयोगी केवली (१) अयोगी केवढी । इति द्वारम् । ': (२) वेद -सामायिक सं० छदोपस्थापनियत सवेदी, तथा
दी भी होते है कारण नौ वां गुण स्थानके दो समय शेष रहने र मेद सब होते है और उक्त दोनों संयम नौ वा गुण स्थान तक