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तीन गाउ तथा तीसरे गमें ज० उ० तीन गाउकि चोथे गमे '. उ. एक गाउ । पीछले ७-८-९ तीन गमामें न० उ० तीन गाउ कि भावगाहान शेष पूर्ववत् ।
. संख्याते वर्षवाला संज्ञो मनुष्य सौधर्म देवलोकमें ज० एक पश्योपम उ० दोयसागरोपमकि स्थितिमें उत्पन्न होते है। शेष ऋद्धि चौर नौगमा असुरकुमारकि माफीक समझना परन्तु यहांपर गमा सौधर्म देवलोक और मनुष्यकि स्थितिसे बोलाना। ___ इशांन देवलोकमें पूर्वकि माफीक कर्मभूमि अकर्मभूमि, तीर्यव पांचेन्द्रि तथा मनुष्य उत्पन्न होते है वह सब सौधर्मवत् समझना परन्तु यहांपर स्थिति न० एक पल्योपम साधिक होनेसे युगलीयोंसे आनेवालोंकि स्पिति माधिकपल्योपम, अवगाहाना साधिक एक गाउ तथा चोथा गमामे वहां दोयगाउ अवगाहाना थि० वह यहांपर साधिक दोयगाउ कहना शेष सौधर्मवत् । गमामें शान देवलोककि स्थिति ज एक पल्योपम साधिक. उ. दोय सागरोयम साधिक कहना। ___ सनत्कुमार देवलोकके अन्दर संख्याते वर्षवाडा सज्ञी तीर्यच पांचेन्द्रिय ज० दोय सागरोपम उ० सात सागरोपमकि स्थितिमें उत्पन्न होते है जिस्की ऋद्धिके २० द्वार असुरकुमारवत् परन्तु अपने जघन्य कालके ४-५-६ गमामें लेश्या पांच समझना शेष सौधर्मवत् । भव ज० २ उ० ९ काल तीर्यच और सनत्कुमार देवलोकसे स्वउपयोग लगा लेना।
: संख्यात वर्षका संज्ञो मनुष्य सनत्कुमार देवलोकमें उत्पन्न होते है वह शार्करप्रभा नरकवत् समझना परन्तु गमामें स्थिति मनुः