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रांचेन्द्रिय मरके सौधर्म देवलोकमें ज० एक पल्योपम उ० तीन पल्योपमकि स्थिति उत्पन्न होते है। वह समदृष्टी, मिथ्या दृष्टी, दोनों प्रकारके और दोय ज्ञान दोय अज्ञानवाले, स्थिति ज० एक पस्योपम उ० तीन पल्योपम एवं अनुबन्ध मी समझना । शेष न्योतीषीयोंके माफीक. मव न० उ० दोय करे काल ज. दोय यल्योपम उ० छे पल्योपम । नौ गमा।
(१) गमें ज० दोय पल्यो. उ० छे पल्योपम ' (२) गमें ज० , उ० च्यार पत्योपम
(३) गमें ज० चार पल्योपम उ० छे पल्योपम (४) गमें ज० दोय पल्योग०३० दोय पल्योपय अवगाहना (५) गमें ज० , १२० प्रत्यक धनुष्य
(उ० दोय गाउ की। (६) गमें ज० , उचार पत्योपम (७) गमैं ज० छे पल्यो उ० छे पल्यो. (८) गमें ज० च्यार पल्यो०३० च्यार पल्यो. (९) गर्भ न० छे पल्यो. उ० छे पल्यो.
संख्याते वर्षवाले संज्ञो तीर्यच पांचेन्द्रियका अलावा भसुरकुमारके माफीक परन्तु मध्यमके ४-५-६ तीन गमामें दृष्टी दोय, ज्ञान दोय, अज्ञान दोय केहना। यह नौ गमा सौधर्म देवलोक और तीर्यच पांचेन्द्रियकि स्थितिसे लगाना । ___ असंख्याते वर्षवाला मनुष्य को सौधर्म देवलोकमे उत्पन्न होता है वह सब असंख्याते वर्षके तीर्थचके माफीक सात गमा सयाना परन्तु पहले, दुसरे गमामें भागाहना न. एक गाउ उ०
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