________________
वैमानिकसे सुधर्म देवलोकके देवता चक्के एथ्वीकायमेन. अन्तर महुर्त उ० २२००० वर्षों कि स्थिति उत्पन्न होते है। परन्तु स्थिति, अनुबन्ध तथा गमाका काल. ज. एक पल्योपम उतर दोय सागरोपमका समझना । इसी माफीक, ईशांन देवलोकके देवता चवके पृथ्वीकायमें उत्पन्न होते है परन्तु यह ज० एक पल्योपम साधिक ३० दोय सागरोपम साधिक समझना। शेष २० द्वार ऋद्धिका तथा नौ गमा पूर्ववत् लगालेना इति । .. इति चौवीसवा शतकका बारहवा उदेशा।
(१३) अप कायका तेरहवा उदेशा-जेसे : पृथ्वी कायका उदेशा कहाहै इसी माफीक अपकाय भी समझना परन्तु पृथ्वी कायकि स्थिति उ० २२००० वर्ष कि थी परन्तु यहा अपकायकि स्थिति ७००० वर्ष कि समझना गमाके कालमें ७००० वर्षसे गमा कहना शेष पृथ्वीवत् इति । २४-१३।
(१४) तेउकायका चौदवा उदेशा-अधिकार पृथ्वीकाय माफीक समझना परन्तु देवता चवके तेउकायमें उत्पन्न नही होते है और स्थिति तेउकायकि उ० तीन अहोरात्रीकी है. शेषाधिकार पृथ्वी कायवत् २१-१४ - (१५) वायुकायका पन्दरवाउदेशा यह भी पृथ्वीकाय माफीक है परन्तु देवता नहीं आवे. स्थिति ३००० वर्ष किसे आमाका काल समझना शेष पृथ्वीकायवत् इति २४-१९ ..
(१६) वनस्पति कायका शोलवा उदेशा-यह भी पृथ्वीकाबात इस्में देवता उत्पन्न होते है। स्थिति उ० १०... वर्ष