________________
( १४ )
शेष च्यार स्थावर तीन वैकलेन्द्रियके गुनने से १६० गमा होता है परन्तु संज्ञो मनुष्य असंज्ञी मनुष्य मरके तेउ कायमें जावे जीसा ९ - ३ बारहा गमा ज० उ० दोयभवमें गीना गया है वास्ते तेड 'कायका १२ वायुकायके १२ एवं २४ गमा यहां पर बाद करने से ९३६ गमा शेष रहते है ।
पांच स्थावर तीन बैकलेन्द्रिय मरके तीयंच पांचेन्द्रियमें जावे जिसके प्रत्यकके नौ नौ गमा होनेसे ७२ गमा हुवा । संज्ञी मनुष्य संज्ञी तीर्थच असंज्ञीतीर्थंच मरके तीर्थच पांचेन्द्रियमें जावे जिस्का सात सात गमासे २१ तथा असंज्ञी मनुष्यके तीन सोला २४ गमा हुवा, पूर्वके ७२ मीलानेसे ९६ गया ।
एवं मनुष्यके भी ९६ गमा होता है परन्तु ते काय वायु-काय मरके मनुष्य में नहीं आवे वास्ते उन्होंका १८ गमा बाद करनेसे ७८ गमा होते है ।
एवं ९३६-१३१-९६-७८ सर्व मिलके १६४६ गमअन्दर जघन्य दोभव उत्कृष्ट आठ भव करते है ।
जघन्य दोय भव उ० संख्याते असंख्याते अनन्ते भवके गमा २१६ होते है जिसके विवरण ।
पांच स्थावर तीन वैकलेन्द्रिय मरके पृथ्वी कायमें जाते है - १-२-४-५ वा इस प्यार गमामें वैकलेन्द्रिय से संख्याते कार स्थावरसे असंख्याते, बनास्पतिसे अनन्ते भव करते हैं आठों बोलसे ३२ गमा एक पृथ्वीकायके स्थानका होता है इसी माफक पांच स्थावर तीन वैकालेन्द्रिका भी लाके १५६ गमा हुवा |