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वायु कायमें जाते है वहां भी दोष भव करते है परन्तु असंज्ञी मनुष्यकि जघन्य स्थिति होनेसे गमा (१-५-६) तीन तीन ही होता है ७६५-३-६ सर्व मीलाके ७७ ४ गमा होता है।
जघन्य दोयभव उत्कृष्ट आठ भवके गमा १६४१ होते है इसके स्थानोंका विवरण, यथाः- २६ संज्ञी तीयंच पांचेन्द्रिय मरके सतावीस स्थान जाते है जिस्मे एक सातवी नरक वनके शेष २६ स्थान |
११ मनुष्य मरके १५ स्थान जावे देखो छठा द्वारसे ।
११ मनुष्य मरके १९ स्थानमें जावे निस्में १.३.४.५-६ ठो नरक तथा ३-४-६-६-७-८ वा देवलोक एवं ११ स्थान
जावे।
एवं ५२ स्थान जाने अपेक्षा और ५२ स्थान पीच्छा आने अपेक्षा सर्व १०४ स्थानमें ज० दोय भव उ० आठ भव करे प्रत्यक स्थानपर नौ नौ गमा होनेसे ९३६ गमा हवे।
पृथ्वीकाय मरके पृथ्वीकायमें जावे निस्में पांच गमामें ज० दोय मव उ० आठ भव करते है एवं शेष च्यार स्थावर तीन वैकलेन्द्रियका पांच पांच गमा गीननेसे ४० गमा होते हैं । संज्ञी मनुष्य संज्ञो तीर्यच असंज्ञी तीयेच मरके. पृथ्वीकायमें जावे वहाँ न. दोय उ० माठभव निस्के नौ नौ गमा और असंज्ञो मनुष्य पृथ्वीकायमें जावे भव ज. दोय उ० आठ करे परन्तु जघन्य स्थिति होनेसे तीन गमा (१-५-६ ) होता है एवं ३० गमा तथा ४० पेहलाके एवं ७० गमा पृथ्वीकायके हुवे इसी माफीक