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४. (७) गमा संख्याबार-प्रथम द्वारमें नौ गमा 'बतलाये है, कोनसा नीव मरके कितने स्थानमें जाते है, मृत्युस्थान और उत्पन्न स्थानमें कितने भवतक गमनागमन करते है उस्मे कितना काल लगता है, जिस्का अलग अलग कितना गमा होते है वह इस सातवा द्वारसे बतलाया जावेगा। ... जघन्य दोय भव और उत्कृष्ट दोय भवके गमा ७७४ । जघन्य उत्कृष्ट दोय भवके स्थान कितने है।
१२ असंज्ञी तीर्थच पहली नरक, दशमुवनपति, व्यन्तर इस १९ स्थान जाते है वहां जघन्योत्कृष्ट दोय भव करते है।
२८ मनुष्य युगल, दश भुवनपति व्यन्तर ज्योतीषी सौधर्म इशान देवताओंमें जाते है वहां ज० उ० दोय भव करते है। इसी माफीक तीर्यच युगलीया भी समझना दोनोंका अठावीस स्थाना , १२ दश भुवनपसि, व्यन्तर, ज्योतीषी, सौधर्म, इशान यह चौद स्थानके जीव मरके पृथ्वी, पाणी, वनास्पनिमें जाते है वहां ज० उ० दोय भव करते हैं चौदाकों तीन गुणे करनेसे ४२ होता है।
.. ३ मनुष्य मरके, तेउकाय, वायुकायमें जाते है वहां जा उ. दोय भव करते है तथा मनुष्य सातवी नरकमें भी ज० उ० दोय भव करते है एवं तीन स्थान । ___एवं ८५ स्थान हुवे । प्रत्यक स्थानके नौ नौ गमा करनेसे ७६५ तथा सर्वार्थसिद्ध वैमानसे आने अपेक्षा दोय भव करते है जिस्का तीन गमा कारण वहाँ स्थिति उत्कृष्ट होती है (७-८-९ गमा) और असंज्ञो मनुष्य मरके तेउ कायमें तथा