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(१५) ज० ५ उ० ७ भक्के गमा १०१ । च्यार वैमान तथा मातवी नरक एवं ५ स्थानके नौ नौ गमा होनेसे ४५ और तीर्थच सातवी नरक (२७ स्थानसे २६ पूर्व गीना) जावे उसका ६ गमा एवं ११ जाने अपेक्षा और ५१ गमा भी आनेकि अपेक्षा एवं १०२ गमा हुवा।
ज० ३ मव उ० १ भव तथा ज० २ भव उ० ४ भवके गमा १७ है यथा च्यारानुत्तर वैमान भे जानेका ९ गमा तीर्यच सातवी नरक जानेका ३ एवं १२ तथा पीच्छा मानेका १२ एवं २४ और सर्वार्थसिद्ध वैमनका ३ गमा एवं सर्व १७ गमा हुवा। ____सर्व ७७४-१६४६-२५६-१०२-२७ कुल २८०५ गमा हुवे । और ८४ गमा तुटते है जिस्का विवरण इस मुजब है।
६. असंज्ञी मनुष्य पांच स्थावर तीन वैकलेन्द्रिय तीर्यच पांचेन्द्रिय, और मनुष्य इस १० स्थानपर असंज्ञी मनुष्य कि जघन्य स्थियि होनेसे ४-५-६ यह तीन तीन गमा गीना जानेसे शेष छे छे गमा तुटा दश स्थानके ६० गमा होता है।
१३ सर्वार्थ सिद्ध वैमानके देवतोंकि उत्कृष्ट स्थिति होनेसे माते जातेके तीन तीन गमा गीना गया है वास्ते छे छे गमा वटा एवं १२ गमा हुवा।
१२ ज्योतीषी सौ धर्म इशान इस तीन स्थानमें मनुष्य युगलीया तथा तीर्थच युगलोया मानेकि अपेक्षा सात सात गमा गीना गया है वास्ते दो दो गमा तुटनेसे तीन स्थानके ६ गमा महप्पका, छे गमा तीर्थचका, एवं बारह गमा तुटा १०.१२.१२