________________
. प्रत्यक जातिका जीव प्रत्यक गति जातिमें उत्पन्न होता है वह यह १० बोलोंकि ऋद्धि साथमें ले जाता है। इस विषयमें कमसे कम लघु दंडकका जानकार आवश्य होना चाहिये तांके प्रत्यक बोलपर पूर्वोक्त २० बोल स्वयं लगा शके ।
(३) स्थानद्वार-प्रत्येक जातिमें जीव उत्पन्न होता है वह कितने स्थानसे आता है वह सब स्थान कितने है वह बतलाते है।
७ सात नरकके सात स्थान | १ व्यान्तर देवोंका एक स्थान १० दश भुवनपतियोंके दश,, । १ ज्योतीषी देवोंका एक स्थान ५ पांच स्थावरके पांच स्थान | १२ बारह देवलोकोंका बारह स्थान ३ तीन वैकलेन्द्रियके तीन,, । १ नौग्रवैगका एक स्थान १ तीर्यच पांचेन्द्रियके एक,, १ च्यार अनुत्तर वैमानका एक, १ मनुष्यका एक स्थान , १ सर्वाधसिद्ध वैमानका एक, .सर्व मीलके ४४ स्थान होता है।
(४) जीवदार-जीव अनन्ते है जिस्मे संसारी जीवोंक संक्षेपसे १६१ भेद बतलाया है परन्तु यहापर सप्रयोग्य १८ जीवोंको ग्रहन किया है यथा १४ तीसरे द्वारमे जो स्थान बतलाये है इतनेही यहांपर जीव समझ लेना । सिवाय:- १ असंज्ञी तीर्थच पांचेन्द्रिय । ।
१ असंज्ञी मनुष्य चौदास्थानकिया। एवं ४८ १ तीर्यच युगलीया (अकर्म भूमि) । जीव है। १ मनुष्य युगलीया (अकर्म भूमि) । (७) आगतिक स्थानद्वार-पूर्वोक्त ४४ स्थानमें आ-के .