________________
धिकी खास आवश्यकता होनेपर तीन दात्त मात्रा ) से अधिक ग्रहन करे.३
(८), बहु मूल्य वस्तु कोइ विशेष कारनसे (औषधादि) ग्रहन कर ग्रामानुग्राम विहार करे. ३
भावार्थ-चौरादिका भय, ममत्वभाव बढे तस्करादि मार पीट करे, गम जानेसे आर्तध्यान खडा होता है. इत्यादि.
(९), बहु मूल्य वस्तुका रुप परावर्तन कर गृहस्थ देवे, जैसे कस्तुरी अंबरादिकी गोलीयों बना दे. गाल दे, ऐसे को ग्रहन करे.३
भावार्थ-जहांतक बने वहांतक मुनियोंको स्वल्प मूल्यका वस्त्र, पात्र, कम्बल, रजोहरण, औषधिसे काम लेना चाहिये. उपलक्षणसे पुस्तक, पाना आदि स्वल्प मूल्यवालेसे ही काम च. लाना चाहिये.
(१०), स्याम, प्रातःकाल, मध्यान्ह, और आदिरात्रि, यह च्यारों टाइममें एक मुहूर्त (४८ मिनीट) अस्वाध्यायका काल है. इस च्यारों कालमे स्वाध्याय (सूत्रोंका पठन, पाठन ) करे, करावे, करतेको अच्छा समझे.
भावार्थ -इस च्यारों टाइममें तिर्यग्लोक निवासी देव फिरते है. देवतावोंकी भाषा मागधी है. अगर उस भाषामें तुटी हो तो देव कोपायमान हो, कबी नुकशान करे.
(११, दिनकी प्रथम पोरसी, चरम पोरसी, रात्रिकी प्रथम पोरसी, चरम पोरसी, इसमे अस्वाध्यायका काल निकालके शेष च्यारों पोरसीमें साधु साध्वीयों स्वाध्याय न करे. न करावे, न करतेको अच्छा समझे.