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निर्जरणा, उजरणा, वापी, पुष्करिणी. दीर्घ वापी, गुजागर वापी, सर (तलाव ), सरपंक्ति-आदि स्थानोंको नेत्रोंसे देखनेकी अभिलाषा करे. ३ भावना पूर्ववत्.
(२२),, पर्वतके नदीके पास के काच्छा केलीघर, गुप्तघर, वन- एक जातिका वृक्ष, महान् अटवीका वन, पर्वत-विषम पर्वत.
( २३ ) ग्राम, नगर, खेड, कविठ, मंडप, द्रोणीमुख, पट्टण, सोना-चांदीका आगर, तापसोंका आश्रम, घोषी निवास करनेका स्थान, यावत् सन्निवेश.
( २४ ) ग्रामादिमें किसी प्रकारका महोत्सव हो रहा हो. ( २५ ) ग्रामादिका वध (घात ) हो रहा हो.
( २६ ग्रामादिमें सुन्दर मार्ग बन रहा है, उसे देखनेको जानेका मन भी करे. ३
( २७ ) ग्रामादिमें दाह ( अग्नि) लगी हो, उसे देखनेकी अभिलाषा मनसे भी करे. ३
(२८) जहां अश्वक्रीडा, गजक्रीडा, यावत् सुवरक्रीडा होती हो. - (२९) जहांपर चौरादिकी घात होती हो.
(३०) अश्वका युद्ध, गजयुद्ध, यावत् शूकर युद्ध होता हो. - ( ३१ ) जहांपर बहुत गौ, अश्व, गजादि रहेते हो, ऐसी गौशालादि..
(३२) जहांपर राज्याभिषेकका स्थान है, महोत्सव होता हो, कथा समाप्तका महोत्सव होता हो, मानानुमान-तोल, माप, लंब, चोड जाननेका स्थान, वाजींत्र, नाटक, नृत्य, बीना बजानेका स्थान, ताल, ढोल, मृदंग आदि गाना बजाना होता हो.