________________
अर्थात् शीत, उष्ण दोनों वेदना है । पांचवीं में उष्ण वेदनावाले कम
और शीत वेदनावाले जादा है। छठी नारकीमें शीत वेदना है और सातमी नारकीमें महाशीत वेदना है। शेष असुरादि २३ दंडकमें तीनों प्रकारकी वेदना है । द्वारम् ।
(२) वेदना चार प्रकारकी है-द्रव्य, क्षेत्र, काल और भवसे-समुच्चय जीव और २४ दंडकमें चारों प्रकारकी वेदना पावे।
(१) द्रव्य वेदना-इष्ट अनिष्ट पुद्गलोकी वेदना (२) क्षेत्र वेदना-नरकादि क्षेत्रकी वेदना (३) काल वेदना-शीत, उष्ण कालकी वेदना (४) भाव वेदना-अनुभाग रस मंद तिवादि । द्वारम्
(३) वेदना तीन प्रकारकी है-शरीरिक, मानसिक और शरीरी मानसिक । समुच्चय जीवोमें तीनो प्रकारकी वेदना है और संज्ञी सोलह (१६) दंडकमें भी तीन प्रकारकी वेदना पांच स्थावर तीन विकलेन्द्रियमें एक शरीरिक वेदना है । द्वारम् ।
(४) वेदना तीन प्रकारकी है-साता, असाता और साता. असाता समुच्चय जीव और २४ दंडकमें तीनों प्रकारकी वेदना है । द्वारम् . . - (५) वेदना तीन प्रकारकी है-मुख, दुःख और सुखदुःखसमुच्चय जीव और २४ दंडकमें तीनो प्रकारकी वेदना है। द्वारम् . ___(६) वेदना दो प्रकारकी है-आप्लूबगमीया (उदीर्णाकरके-- शीर लोच तथा तपश्चर्यादि करके) औपक्रमीया (उदय आनेसे)