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(३) रुप .
.. " (४) शब्द " " " (१) मन
" (६) अपरिचारणवालाका सुख , ,
. परिचारणवाला देवोंकी अल्प. (१) स्तोक अपरिचारणवाला देव (२) मन परिचारणवाला देव संख्यातगुणा (३) शब्द , असंख्यातगुणा (१) रुप " , " (९) स्पर्श " " " (1) काय , , " - सेवं भते सेवं भंते तमेव सच्चम् ।
- थोकडा नं० १६ श्री पन्नवणा सूत्र पद ३५
( वेदना पद ) शीत । द्रव्य २ शरीर ३ साता ४ दुःख ५ अभृगमीया ६ निंदा ७ .
(१) वेदना तीन प्रकारकी है-शीत वेदना, उप्ण वेदना, और शीतोष्ण वेदना । समुच्चय जीव तीनो प्रकारकी वेदना वेदते हैं।
पहिली, दूजी, तीनी नारकीमें उष्ण वेदना है कारण इन तीनों नरकके नेरीया शीत योनीके है । चौथी नारकीमें उष्ण वेदनावाले नेरीया बहुत है और शीत. वेदनावाले नेरीया कम है