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________________ नौ प्रकार की पलकों का अभिनय पलकों के भेद सम और उसका विनियोग विवर्तित और उसका विनियोग १. २. ३. ४. ६. ७. ८. तारों का निरूपण १. २. ३. ५. ६. ७. ८. f. १. २. प्रसृत और उसका विनियोग कुचित और उसका विनियोग पिहित और उसका विनियोग स्फुरित और उसका विनियोग उन्मेषित और उनका विनियोग निमेषित और उसका विनियोग वितालित और उसका विनियोग २४ तारों के भेद आत्मनिष्ठ ताराकर्म प्राकृत भ्रमण पात वलन चलन प्रवेशन समुदवृत निष्क्राम विवर्तन विनियोग विषयाभिमुख ताराकर्म सम साथि नृत्याध्यायः श्लोक संख्या ४८२ ४८३ ४८४ ४८५ *** ४८७ ४८८ ४८९ ४८९ ४९० ४९१ ४९२ ४९३. ४९४ ४९५ ४९५ ४९५ ४९५ ४९६ ४९६ ४९६ ४९७-४९९ ५०० ५०१ ५०२ पृष्ठ संख्या १५५-१५६ १५६ १५६ १५६ १५६ १५७ १५७ १५७ १५७ १५८ १५८ १५८ १५८ १५८ १५८ १५८ १५८ १५८ १५८ १५८ १५९ १५९ १५९ १५९
SR No.034223
Book TitleNrutyadhyaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshokmalla
PublisherSamvartika Prakashan
Publication Year1969
Total Pages514
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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