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________________ हैस्त प्रकरण देवपूजन, स्त्रियों के कुच और कुचों को पकड़ने, स्त्रियों का जूड़ा पकड़ने और पुष्पों के चुनने के अभिनय में पद्मकोश हस्त का विनियोग होता है। नान्दीपिण्डप्रदाने तूत्तानः क्षिप्ताङ्गुलिर्मतः । 199 अधोमुखः कुश्चितानः कपित्थश्रीफलग्रहे ॥१३॥ नान्दी श्राद्ध में पिण्डदान करने के आशय में पद्मकोश हस्त को उत्तान करके उसकी उँगलियों को फेंकने की शक्ल में करना चाहिए । कैथ और बेल के ग्रहण में उसे अघोमुख करके, उस की उंगलियों के अग्रभाग को कुंचित कर देना चाहिए। भूस्थितार्थग्रहे लोभेऽप्युत्तानो बलिकर्मणि । 200 क्षिप्ताङ्गुलिरथासौ तु पश्चादर्थे चलागुलिः ॥१६४॥ भूमि पर या भू-गर्भ में स्थित द्रव्य के आदान, लोभ और बलिकर्म के भाव-प्रदर्शन में उक्त हस्त को उत्तान करके अँगुलियों को क्षिप्त कर देना चाहिए। पश्चात् अर्थ के स्वीकार या निर्देश के अभिनय में उसकी उँगलियों को कम्पित कर देना चाहिए। : अधोमुखौ यथौचित्यं बीजपूरादिके फले । 201 अंसग्रहे च सिंहाद्यरथातिविरलाङ्गुली ॥१९॥ बिजौरा नींबू आदि फलों के अभिनय में दोनों पद्ममुख हस्तों को यथोचित रूप से अधोमुख करना चाहिए । सिंह आदि के द्वारा कन्धा पकड़ लिये जाने के अभिनय में दोनों पद्ममुख हस्तों की उँगलियाँ अलग करके प्रयुक्त करनी चाहिएँ। .. __ संश्लिष्टमणिबन्धौ च फुल्लपद्मादिदर्शने । 202 कुचदेशस्थितौ कार्यों प्रौढायां पद्मकोशकौ ॥१६॥ खिले हुए कमल आदि पुष्पों के भावाभिव्यंजन में दोनों पद्मकोश हस्तों की कलाइयों को परस्पर सटा देना चाहिए और प्रौढ़ा नायिका के अभिनय में उन्हें कुचों पर रख देना चाहिए। पक्षिणां पञ्जरेष्वेतौ तथा संकीर्णवेश्मनि । 203 - विरलाङ्गुलिको कार्यावन्योन्यान्तरनिर्गतौ ॥१७॥ पक्षियों के पिंजरों तथा संकीर्ण गृह के अभिनय में उक्त दोनों हस्तों को एक-दूसरे के भीतर से निकालते हए उनकी उंगलियों को विरल कर देना चाहिए। १
SR No.034223
Book TitleNrutyadhyaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshokmalla
PublisherSamvartika Prakashan
Publication Year1969
Total Pages514
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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