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________________ (६६) योगचिन्तामणिः । [ पाकाधिकारः निसोथ, मालकांगनी, दंतून, गोखरू, चित्रक, कचूर, इन्द्रायण, सोंठ, नागरमोथा, वायविडंग, हरड इन औषधियोंको सोलह सोलह टँक लेवे, पानी ८१९९२ टंक लेवे, भिलावे ८ पल, विधायरा ८ पल, जमीकन्द १६ पल इन सबको पूर्वोक्त जलमें डालकर औटावे. जब चौथाई शेष रहे तब उतारकर क्वाथसे तिगुना गुड डालकर औटावे और कड़छी से चलाता जाय, आगे कहे प्रकार अवलेह बनालेवे | जब कडछीमें लिपटने लगे, तब उतारकर ये चूर्ण और डाले - निसोथ, मालकांगनी, सूरण (जमीकंद ), चित्रक इनको बत्ती बत्तीस पल लेवे । इलायची छोटी, तज, मिरच, नागकेशर ये औषधि और छः छः पल लेवे, इन सबको उस अवलेहम डलकर रखे, पीछे इसकी मात्रा देवे अजीर्णता और क्षीणता में यह रसायन है. पांच प्रकारके गुल्म, प्रमेहमात्र, पांडुरोग, हलीमक सर्व प्रकरकी बवासीर तथा सर्व प्रकार के उदररोगपर यह उत्तम रसायन है । तीव्र बृद्धि करे, यह बाहुशाल गुड दुर्नाम (बवासीर) का शत्रु है शास्त्रान्त में इसको बाहुशालगुड कहते हैं ॥ १-८ ॥ आर्द्रकपाक | चूर्णितं चार्द्रप्रस्थं गुडप्रस्थेन पाचयेत् । सर्पिषः कुडवं दत्त्वा चूर्ण तं वेदमापचेत् ॥ १ ॥ चातुर्जातफलं व्योषं त्रिफला तुर्यभागकाः । लवंगमभया भाङ्ग वृपं भूनिंबपौष्करम् ॥ २ ॥ देवदार्वश्वगंधा च जातीपत्रफलागुरु । गायत्रीसारमृदी च द्विगुणं च रसं पेित् ॥ ३ ॥ कासं श्वासं क्षयं शोषं पण्ठैकादशरूपिणम् । श्लेष्मप्रकोपमामं च मंदाग्निमुदरग्रहम् ॥ ४ ॥ Aho ! Shrutgyanam
SR No.034215
Book TitleYog Chintamani Satik
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarshkirtisuri
PublisherGangavishnu Shrikrishnadas
Publication Year1954
Total Pages362
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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