SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 244
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ -सप्तमः] भाषाटीकासहितः। (२२३) न्यत्वचः। षग्रंथामरदारुवारणकणाभूनिम्बदन्तीनिशापत्रैलातिविषाः प्रिचुअमितयो लोहस्य कर्षाष्टकम् ॥ १॥ त्वक्क्षीरं पलिकां परं दशजलान्यष्टौ शिलाजिन्मतो मत्स्यंडीकुडवोन्मितेति गुटिका संयोज्य कुर्याद्भिषक् । तत्रैकं प्रतिवासरं सहविषाक्षौद्रेण लिह्यादिमां तप्तं मस्तुपयोरसं मधुघृतं तावत्पिबेन्मात्रया॥२॥ अशासि प्रदरं ज्वरं सुविषमं नाडीव्रणानश्मरी कृच्छं विद्रधिमनिमांद्यमुदरं पाण्ड्वामयं कामलाम् । यक्ष्माण सभगन्दरं सपिडिकागुल्मप्रमेहारुचीरेतोदोषमुरःक्षतं कफमरुत्पित्तातिमुग्रां जयेत् ॥३॥ वृद्धंसंजनयेधुवानमसमौजस्कं बलं वर्द्धयेदेतस्यां न निषिद्धमंगमसकृन्नेच्छागमं मैथुनम् । विख्याता गुटिकेयमंचिततग चंद्रप्रभानामतश्चन्द्रानन्दकरी करोति रुचिरां चन्द्रेण तुल्यां तनुम् ॥ ४॥ बेल, सोंठ, मिर्च, पीपल, त्रिफला, सैंधानोंन, कालानोंन, कचनोन, सज्जीखार, जवाखार, चव्य, निसोथ, पीपलामूल, मोथा चिरायता, जमालगोटेकी जड, हलदी, तेजपात, इलायची, सोनामक्खी, धनियां, तज, अजमोद, देवदारु, गजपीपल, अतीस, नींब चार टंक, लोहसार ३२ टंक, वंशलोचन १ पल, गूगल, १६० टंक, शिलाजीत ८ पल, मिश्री खांड ६४ टंक इन सबको इकट्ठा कर १ टंक प्रमाण गोली बनाकर । घृतके संग नित्य सेवन करे । महा, दूध, शहद Aho! Shrutgyanam
SR No.034215
Book TitleYog Chintamani Satik
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarshkirtisuri
PublisherGangavishnu Shrikrishnadas
Publication Year1954
Total Pages362
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy