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(१८०) योमचिन्तामणिः। [घृताधिकारः अथवा थोडी उमर होय तो पूर्ण आयु होवे, जो शूलसे युक्त होय जिसको गर्भ न रहे वह पुत्र जने और सब दोषोंको दूर करता है। यह कल्याणघृत महादेवजीने कहा है, इसमें जिस गौका बछडा जीता होवे उस गौका घृत लेवे ॥ १-११ ॥
मतान्तर कल्याणवृत १-२ । सिद्धार्थस्त्रिकटुः क्षपायुगवचामंजिष्ठका रामठं श्वेताहात्रिफलाकरंजकटुभिः श्यामाशिरीषामरैः। इत्यष्टादशभिः स्मृतं घृतमिदं गोमूत्रयुक्तं नृणा
मुन्मादनमपस्मृतिनमगदः स्याद् बस्तमूत्रेण च॥१॥ ... १-सरसों, सोंठ, मिरच, पीपल, दोनों हलदी, वच, मजीठ, हींग, सफेद कटेरी, त्रिफला, करंजके बीज, मालकांगनी, निसोथ, सिरसके फूल, देवदारु, इन अठारह औषधियोंको घी और गोमूत्रमें औटावे और बकरेके सूत्रमें देवे तो उन्माद दूर होवे ॥१॥ तालीसत्रिफलैलवालुफलिनीसौम्यापृथक्पर्णिनीदन्तीदाडिमदारुचन्दननिशादा:विशालोत्पलैः । जातीपुष्कररेणुपद्मकयुतैर्जतुघ्नमंजिष्ठकारुक्सिहीत्रुटिसारिवाद्वयनतैर्नागेन्द्रपुष्पान्वितैः ॥ १॥
अष्टाविंशतिभिश्चतुर्गुणजलं कल्याणमेभिः शृतं हंत्येतच्च चतुर्थकज्वरमुर कंपं सवंध्यामयम् । सापस्मारगदोदरौ सपवनोन्मादौ सजीर्णज्वरौ जायन्ते न पुनः कृतेन हविषा कल्याणकेनामुना ॥२॥ २-तालीसपत्र, त्रिफला, एलुआ, भोंफली, प्रियंगु, शाल
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