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________________ ( १३४ ) योगचिन्तामणिः । [ गुटिकाधिकारः तज, तेजपात, इलायची, नागकेशर, चव्य दोनों जीरे, सोंठ, मिरच, पीपल, अरलूकी छाल, पीपलामूल, बेलगिरी, अतीस, अजमोद, अजमायन, आमकी गुठली, पाठा, मोथा, मुलहठी, इंद्रजव, इमली के बीज, बच, लोध, मंजीठ इनका चूर्ण कर मोचरस समान मात्रा लेवे, इतनाही गुड डालकर बहेडेके समान गोलियाँ बनावे | यह संग्रहणी, रक्त अतीसारका नाश करे ॥ १ ॥ २ ॥ एलादिगुटिका । एलात्वक्पत्रकं द्राक्षा पिप्पल्यर्द्धपलं तथा । सित्तामधुकखर्जूर मृद्वीकाश्च पलोन्मिताः ॥ १ ॥ संचूर्ण्य मधुना कुर्याटिकां चाक्षसंमिताम् । कासं श्वासं ज्वरं हिक्कां छर्दि मूर्च्छा मतिभ्रमम् ॥ २ ॥ रक्तष्ठीवं पार्श्वशूलं स्वरभेदं क्षतक्षयम् । गुटिका तर्पणी वृष्या रक्तपित्तं च नाशयेत् ॥३॥ इलायची ४ टंक, तज ४ टंक, तेजपात ४ टंक, दाख ४ टंक, पीपल ८ टंक, मिश्री, मुलहठी, छुहारे, मुनक्का १६ टंक इनको शहदमें बहेडेके समान गोलियां बनावे | यह गोली खांसी, श्वास, ज्वर, हिचकी, छर्दि, सूर्च्छा, चित्तभ्रम, मुखका रक्तदोष, पसलीका दरद, स्वरभेद, क्षतक्षय, रुधिरविकार और पित्तादिकोंको दूर करे ॥ १-३ ॥ तालीसादिगुटिका | चव्याम्लवेतसकटुत्रिकतिन्तडीकं तालीसजीरकतुगादहनैः समांशैः । चूर्ण गुडप्रमृदितं त्रिसुगं1. धयुक्तं वैस्वर्यपीनसकफारुचिषु प्रशस्तम् ॥ १ ॥ Aho ! Shrutgyanam
SR No.034215
Book TitleYog Chintamani Satik
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarshkirtisuri
PublisherGangavishnu Shrikrishnadas
Publication Year1954
Total Pages362
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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