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________________ (१३२) योगचिन्तामणिः। गुटिकाधिकार:. पारा, गन्धक ले पारे गंधककी कजली करे, तेलिया मीठा, शुद्ध हरताल, सोंठ, मिरच, पीपल, त्रिफला सुहागा इनको चूनेके पानीकी तीन पुट देवे फिर भांगरेके रसमें गोली बनावे, यह गोली चौंसठ रोगोंको दूर करे और खांडके साथ चार गोली लेवे, ऊपरसे गरम पानी पीवे तो सात बार या पांच बार विरेचन करे, जीर्णज्वर,अजीर्ण, संग्रहणी, गुल्म और आमवातको दूर करे ॥ १-३॥ प्रभावती गुटिका । द्वे हरिद्रे निंबपत्रपिप्पलीमरिचानि च।भद्रमुस्ता विडंगं च सप्तमं विश्वभेषजम् ॥ १ ॥ सैंधवं चित्रकं चैव बावची पित्तपर्पटम् । पाठाऽभया वचा कुष्ठमजामूत्रेण पेषयेत् ॥२॥ साष्टशतं वाऽभिमंत्र्य जातीपुष्पाणि प्रक्षिपेत् । दीपोत्सव. दिने रात्रौ गुटीं कृत्वाभिमंत्रयेत् ॥ ३ ॥ सर्वेषु बालरोगेषु ज्वरऐकाहिकादिके । भूतप्रेतादिदोषेषु वश्ये नेत्रामयेषु च ॥४॥ अंजनं भक्षणं पुंडू यथायोगं प्रयोजयेत् । प्रभावती नाम गुटी सर्वकार्यप्रसाधिनी ॥५॥ दोनों हलदी, नीमके पत्ते, पीपल, मिरच, नागरमोथा, वायविडंग, सोंठ, सैंधानोन, चीता, बावची, पित्तपापडा, पाठा, हरड, वच कूठ, उनको बकरीके मूत्रमें १०८ चमेलीके फूल डाल यह मंत्र पढे“ॐ नमः पार्श्वनाथाय महासत्त्वाय ॐ अहिमहि चर २ चांडालिनि स्वाहा ।" और दिवालीकी रातको गोली बनावे । यह गोली समस्त बालरोग, ऐकाहिकादि ज्वर और भूत, प्रेतादिक रोगोंको नाश Aho! Shrutgyanam
SR No.034215
Book TitleYog Chintamani Satik
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarshkirtisuri
PublisherGangavishnu Shrikrishnadas
Publication Year1954
Total Pages362
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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