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________________ तृतीयः] भाषाटीकासहितः। (११७.) बनावे । यह गोली पांच प्रकारके कासरोग, कफ, दारुण स्वरभंग, गृध्रसी और क्षयरोगको नाश करती है ॥ १-४॥ वीजपूरादिवटिका। त्रिकटुविकटदंष्ट्रा हिंगुगुंजाररौद्रस्त्रिलवणनखमुग्रं जीरके द्वे चपेटः । प्रकटितकटुकायप्रोल्लसत्केशरौघः कफमदगजहन्ता केशरी बीजपूरः॥१॥ सोंठ, मिरच, पीपल यही भई विकट डाढ, हींग मानो विकराल शब्द (मुंजार ), सैंधानोन, कालानोन, बिडनोन, ये मानो उग्रनख, दोनों जीरे ये चपेट प्रकट जो अदरखकी कटुताई तिसकरके है प्रकाश जिसका ऐसा केसरी मानो कफ, मदयुक्त जो हस्ती इसको मारनेवाला यह विजोरा है ॥ १॥ कासरोगमें बबूलगुटिका । रसभागो भवेदेको गन्धको द्विगुणो मतः। त्रिभागा पिप्पली ग्राह्या चतुर्भागा हरीतकी ॥१॥ विभीतकं पञ्चभागमटरूपश्च षड्गुणः । भाङ्गा सप्तगुणा ग्राह्या सर्वचूर्ण प्रकल्पयेत् ॥२॥ बबूलक्वाथमादाय भावना एकविंशतिः । कार्या विभीतकमिता गुटिका मधुना सह ॥३॥ कासं पंचविधं हन्यादूर्ध्वश्वासं कफंजयेत॥४॥ पारा एक भाग, गंधक दो भाग, पीपल तीन भाग, हरड चार भाग, बहेडा पाँच भाग, अडूसा छः भाग, भारंगी सात भाग इन सबका चूर्ण कर फिर बबूल की छालके काढेकी २१ भावना देवे और वहेडेके समान गोली बनावे, यह गोली प्रांच प्रकारका कास, उर्ध्वश्वास और कफको दूर करती है ॥ १-४ ॥ Aho ! Shrutgyanam
SR No.034215
Book TitleYog Chintamani Satik
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarshkirtisuri
PublisherGangavishnu Shrikrishnadas
Publication Year1954
Total Pages362
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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