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________________ ज्योतिषसारः। भौम शुभाशुभजम्मो बिय चउ पण सग, अट्ठम नवमो इ बार भूम दुहं । तिय सड दसम इगारस, भूमो धण धन्न बहु कोरी ॥ २४१ ॥ भावार्थ-अपना जन्म राशिसे मङ्गल- पहिला दूजा चौथा पांचवां सातवां आठवां नववां और बारहवां हो तो दुःखदायी है तीसरा छटा दशवां और ग्यारहवां हो तो धन धान्य का लाभ कारी होता है ॥ २४१ ॥ .' बुध शुभाशुभबारस इग नव पण सग, बुद्धो भयभीय सव्व कालायं । बिय तिय चउ सड अट्ठम, दसमं एगार बुध सुहं ॥ २४२ ।। भावार्थ-अपना जन्म राशिसे बुध-बारहवां पहिला नववा पांचवां और सातवां हो तो सर्वदा भयकारी है । दूसरा तीसरा चौथा छटा आठवां दशवां और ग्यारहवां सुखकारी है ॥२४२।। गुरु शुभाशुभ ---- बारसमो दसमो चउ, जम्मो सड अट्ट तीय गुरु दुहुओ। नव बिय पण सग गारस, सुरुगुरु सुह देइ बहुओयं ।। २४३ ॥ . भावार्थ-अपना जन्म राशिसे गुरु-बारहवाँ दशवां चौथा पहिला छट्ठा आठवां और तीसरा दुःखदायी है । नववां दूसरा पांचवां सातवां और ग्यारहवां बहुत सुखकारक है ।। २४३ ॥ - शुक्र शुभाशुभ-- सग बारस सड तिय नव, सुक्को भट्ठोइ सव्व कजाई । इग बिय चउ पण अद्रुम, दसम एगार भिगु सुहओ । २४४ ॥
SR No.034201
Book TitleJyotishsara Prakrit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherBhagwandas Jain
Publication Year1923
Total Pages98
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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