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________________ ज्योतिषसारः। काणयोगजिट्ट रवि ससि अभीय, मंगल पूभद्द बुध भरणीय। गुरु अद्दा मघ सुक्क, चित्ता सनि जोग काणायं ॥ १८५।। भावार्द- रविवारको ज्येष्ठा, सोमवार को अभिजित्, मंगलवारको पूर्वाभाद्रपद, बुधवार को भरणी, गुरुवारको आर्द्रा, शुक्रवारको मघा और शनिवार को चित्रा हो तो काण योग होते है ॥ १८५॥ - वार नक्षत्र सिद्धियोग मूलारकि सवण ससि, मंगल उभद्द बुध किरतीय। गुरु पुणवसु पूप्फा, भिगु साई सनि सिद्धि जोगाणं ॥ १८६॥ भावार्थ-रविवारको मूल, सोमवार को श्रवण, मंगलवारको उत्तराभाद्र पद, बुधवारको कृत्तिका, गुरुवार को पुनर्वसु, शुक्रवारको पूर्वाफाल्गुनी और शनिवार को स्वाति नक्षत्र हो तो सिद्धियोग होते हैं ॥ १८६ ॥ तिथि वार सिद्धियोगनन्दा भिगु भद्दा बुह, जाया भूमे हि रित्त मंदायं। पुन्ना तिहीय गुरु यं, जोगं सिद्धाइ कज सव्वे ॥ १८७ ॥ ... भावार्थ-शुक्रवार को नन्दा १-६-११ तिथि, बुधवार को भद्रा-२-७-१२ तिथि, मंगलवार को जया-३-८-१३ तिथि, शनिवार को रिक्ता-४-६-१४ तिथि और गुरुवार को पूर्णा-५-१०१५ तिथि सिद्धियोग है, इन में सर्वकार्य करना अच्छा है ॥१८७।।
SR No.034201
Book TitleJyotishsara Prakrit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherBhagwandas Jain
Publication Year1923
Total Pages98
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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