________________
हिन्द भाषा-टोका समेतः ।
त्रिपुष्करयोगपूभद्द किति पुणव्वसु, उफा ऊसा विसाह रवि सनि भू। भद्दा तिही तिपुक्कर, जमलं मिग चित्त धणिहायं ॥ १८८ ॥ ___ भावार्थ-पूर्वाभाद्रपद कृत्तिका पुनर्वसु उत्तरा फाल्गुनी उत्तराषाढ़ा और विशाखा ये नक्षत्र,रविवार शनिवार और मंगलवार, भद्रा-२-७-१२ तिथि, इन के संयोग से त्रिपुष्कर योग होते है और शनि रवि मंगलवार, भद्रातिथि, मृगशीर्ष चित्रा और धनिष्ठा ये नक्षत्र इनके संयोग से यमल योग बनते है।
संवर्तकयोगगुरु नवमी भिगु बीया, ससि तेरसि भूम चवदिसि तिहीया। बुध एगा रवि सत्तमि, पंचमि सनि योग संवत्ता ॥ १८ ॥
भावार्थ --रविवार को सप्तमी, सोमवार को त्रयोदशी, मंगलवारको चर्तुदशी, बुधवारको प्रतिपदा, गुरुवार को नवमी, शुक्रवार को द्वितीया और शनिवार को पंचमी हो तो संवर्तक योग होते हैं ॥ १८ ॥ . पुनः संवतकयोग- गुरु छट्ठी नवमो तिहि. भिगु बीया तीय बुध इग तीया।
ससि सत्तमि तेरसि या, सत्तमिरवि भूम चवदिसि या॥१०॥ सनि पंचमि संवत्तक, जोगं अवजोग मज्भ सव्वेहि । नहु कीरइ वीवाहं, मंगलकाले हि वज्जेहि ॥ ११ ॥ . भावार्थ-गुरुवारको षष्ठी और नवमी, शुक्रवारको द्वितीया