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हिन्दी भाषा-टोका समेतः ।
शीर्ष, शुक्रवारको आश्लेषा, और शनिवारको हस्त नक्षत्र हो तो मृत्युयोग होते हैं ॥१८॥
तिथि वार मृत्युयोगरवि भूम तिही नन्दा, ससि गुरु भद्दाइ जया बुद्धहि । भिगु रित्त सनि पुन्ना, वज्जे य मिश्चजोगाई ॥ १८२ ।।
भावार्थ-रविवार और मंगलवारको नन्दा.--१-६-११ तिथि, सोमवार गुरुवारको भद्रा-२-७-१२ तिथि, बुधवार को जया-३-८-१३ तिथि, शुक्रवार को रिक्ता-४-६-१४ तिथि और शनिवार को पूर्णा--५-१०.१५ तिथि हो तो मृत्युयोग होते हैं वे शुभकार्य में वर्जनीय है ॥ १८२ ॥
पुनः ग्रन्थान्तरे मृत्युयोगबुधे अस्सणि मूल, गुरु पूसा मूल सितभिस मिगायं। सनिहर पूसा चउरों, भिगु रोहिणि साइ असलेसा ॥ १८३ ।। सूरो मघ अनुराहा, चन्दा असा विसाह पुक्खेहि। भूमे सितभिस अहा, भरणी मघ जोग मिश्चाई ॥ १८४ ॥
भावार्थ - बुधवारको अश्विनी और मूल नक्षत्र, गुरुवारको पूर्वाषाढ़ा मूल शतभिषा और मृगशीर्ष नक्षत्र, शनिवारको पूर्वापाढा आदि चार नक्षत्र, शुक्रवार को रोहिणी स्वाति और आश्लेषा, रविवारको मघा और अनुराधा, सोमवार को उत्तराषाढा विशाखा और पुष्य, मंगलवारको शतभिषा. आर्दा भरणी और मथा नक्षत्र ये मृत्युयोग होते हैं ॥ १८३ ॥ १८४॥ ...