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________________ ५२ ज्योतिषसारः । रविवार को मघा, मंगलवारको मघा और आर्द्रा, शुक्रवार को स्वाति और रोहिणी, शनिवार को हस्त रेवती पूर्वाषाढ़ा और उत्तराषाढ़ा हो तो यमघंट योग होते हैं ।। १७७ ॥ १७८ ॥ यमघंट फल -- जिमधं गमण मिश्चं, पाणिग्गहणं कुलो विच्छेयं च । देवपट्ठा मिथं, पुत्तो जाया न जीवति ॥ १७६ ॥ भावार्थ - यमघंटयोग में गमन करे तो मृत्यु होवे, विवाह करे तो कुलका नाश होवे, देव प्रतिष्ठा करे तो मृत्यु होवे और पुत्र उत्पन्न हो तो जीवे नहीं ॥ १७६ ॥ उत्पातयोग सूर विसाहा ससि पूढ, भूमि धनिट्ठाइ बुध रेवइ य । गुरु रोहिणि भिगु पुक्खं, ऊफा सनि योग उत्पायं ॥ १८० ॥ भावार्थ - रविवार को विशाखा, सोमवार को पूर्वाषाढ़ा, मंगलवारको धनिष्ठा, बुधवारको रेवती, गुरुवारको रोहिणी, शुकवारको पुष्य और शनिवारको उत्तराफाल्गुनी हो तो उत्पात योग होते हैं ।। १८० ॥ वारनक्षत्र मृत्युयोग अणुराहा रवि ससि उसा, मंगल सितभिसह बुध अस्सणिया 1 गुरु मिग भिगु असलेसा, हत्था सनियोग मिच्चाई ।। १८१ ॥ भावार्थ - रविवार को अनुराधा, सोमवारको उत्तराषाढ़ा, मंगलवार को शतभिषा, बुधवारको अश्विनी, गुरुवारको मृग
SR No.034201
Book TitleJyotishsara Prakrit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherBhagwandas Jain
Publication Year1923
Total Pages98
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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