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हिन्दी भाषा - टीका समेतः I
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छट्टि तिया अड तेरिसि, मङ्गल जोगे सुहा होई ॥ १५४ ॥ सवणं रोहिणि पुक्खो, मिगसिर अणुराह किशिगा रिक्खा बीया सामि बारस, जोगे बुधवार सुह होई ॥ १५५ ॥ पुवाइ हत्थ पुक्खं, रेवइ अस्सणि विसाह पुणव्वसय' । पञ्चमि दसमी गारिंसि, पुन्निम गुरु जोगे सुह होई ॥ १५६ ॥ उत्तरसाढा अस्सणि, रेवइ अणुराह पुणव्वसं हत्था । पुध्वा फग्गुणि तेरिसि, नन्दा तिहि सुक्क सुह होई ॥ १५७ ॥ सवर्ण पुत्राफग्गुणि, रोहिणि साई मघा य सितभिसयं । चत्थि नवमी चउदिसि, अट्ठमि सुह जोग सनि होई ॥१५८ ॥
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भावार्थ - रविवार को हस्त तीनों उत्तरा मूल पुष्य धनिष्ठा अश्विनी और रेवती नक्षत्र, प्रतिपदा अष्टमी और नवमी तिथि हो तो शुभ है। सोमवारको द्वितीया और नवमी तिथि, पुष्य मृगशीर्ष रोहिणी श्रवण और अनुराधा नक्षत्र हो तो शुभ है ॥ मङ्गलवार को रेवती मृगशीषे अश्विनी मूल आश्लेषा और उत्तराभाद्रपद नक्षत्र, षष्ठी तृतीया अष्टमी और त्रयोदशी तिथि हो तो शुभ है ॥ बुधवारको श्रवण रोहिणी पुष्य मृगशीर्ष अनुराधा और कुशिका ये नक्षत्र, द्वितीया सप्तमी और द्वादशी तिथि हो तो शुभ है। गुरुवार को तीनों पूर्वा हस्त पुष्य रेक्ती अश्विनो विशाखा और पुनर्वसु नक्षत्र, पञ्चमी दशमी एकादशी और पूर्णिमा तिथि हो तो शुभ है। शुक्रवार को उत्तराषाढा अश्विनी रेवती, अनुराधा पुनर्वसु हस्त और पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र, त्रयोदशी और मुदा (१-६९११) तिथि हो तो शुभ है । शनिवार को श्रवण
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