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हिन्दी भाषा-टीका समेतः । भावाथ- तृतीया पूर्णिमा और भद्रा (२-७-१२) ये तिथि, मंगल बुध रवि और शुक्र ये वार, पुष्य मृगशीर्ष भरणी पूर्वाफाल्गुनी पूर्वाषाढा उत्तराभाद्रपदा चीत्रा अनुराधा और धनिष्ठा ये नक्षत्र इनके संजोग से राजयोग होता है। वह गृह प्रवेश में मैत्री करने में विद्यारंभादि सत्कीया में और राज्याभिषेकादि में राजयोग शुभ कहा गया हैं ॥ १४४।१४५ ।। कुमार योग
नंदा पंचमि दसमी, ससि बुध भिगु मंगल मघ सवणं । अस्सणी रोहिणि पुणव्वसु, हत्थ विसाहा कुमार जोगा ॥१४६॥
भावार्थ-नंदा (१-६-११) पंचमी और दशमी थे तिथि, सोम बुध शुक्र और मंगल थे वार,मधा श्रवणअश्विनी रोहिणी पुनर्वसु हस्त और विशाखा ये नक्षत्र, इनके संजोगसे कुमारजोग होता है ए शुभ कार्य में अच्छा है ॥ १४६ ॥ ज्वालामुखी योगपडिवइ मूलं रिसी यं, पंचमि भरणीय कित्ति अहमीयं । नवमी दिण रोहिणीयं, दसमी असलेस दुह दियीयं ॥ १४७॥ एए ही जोगजाला, जम्मं जो हवइ सो मरइ बाला । अवसइ गेहसाला, परि हरियं वरइ जयमाला ।। १४८।।
भावार्थ-प्रतिपदा और मूलनक्षत्र, पंचमी और भरणी, अष्टमी और कृत्तिका, नवमी और रोहिणी, दशमी और आश्लेषा ये ज्वालामुखी योग है, वह दुःखदाई है। इस योगमें जन्म होनेसे बालक मर जाता है, गृहादिक का आरंभ करे तो गिर जाता है।