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ज्योतिषसारः। स्थिर कार्य कारक और वर्द्धमान-धनवृद्धि कारक है ॥
६से ७५॥ पुरुषनववाहनफलरवि रिक्वं सिरि धरिय, नाम रिषखाइ जोइ नवमागं । ठवियाय नव वाहण, लहिय फलं कहियं सव्वायं ॥ ७६ ॥ खर हय गय मेसाय, जम्बू सिहोइ काग मोरायं । हंसोयं नरवाहण, नारद पुच्छेइ हरि कहियं ॥ १७ ॥ लच्छी हीणि रासभ, धनलाहो हयगये हिं सुह बहुयं । मेसे मरण कीरइ, जंबू सुह हरइ सव्वायं ॥ ७८ ॥ सिहोइ पिसुण मरणं, कागो दुहदाह कीरइ विसेस । मोरोइ अत्यलाभ, हंसो सुह सयल वट्टेयं ॥ ७ ॥
भावार्थ-रविनक्षत्र और पुरुष नाम नक्षत्र ये दोनों मिलाकर नव का भाग देना, जो शेष बचे वह अनुक्रमसे ६ वाहन जानना ; उनके नाम-खर १, हय २, गज ३,मेष ४, जंबूक ५, सिंह ६, कौवा ७, मयूर ८ और हंस । इसका फल--स्वर वाहन हो तो लक्ष्मीका नाश, हय वाहन हो तो धनका लाभ, गज बाहन हो तो . बहूत सुख, मेष वाहन हो तो मरण करे, जंवूक वाहन होतो सुख हरे, सिंह वाहन हो तो दुष्ट मरण करे, काग वाहन हो तो विशेष दुःख दाह करे, मयूर वाहन हो तो धनलाभ करे, हंस वाहन हो तो संपूर्ण सुख रहे। ये वाहन संग्राम और कलह आदि में विशेष तया देखे जाते हैं ।। ७६ से ७६ ॥