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________________ ज्योतिषसारः। भावार्थ-अश्विनी भरणी और कृत्तिकाके एक पाद (चरण)का मेष राशि १ । कृत्तिका के तीन पाद रोहणी और मृगशिर के दो पाद का वृषराशि २ । मृगशिर के दो पाद आा और पुनर्वसु के तीन पाद का मिथुनराशि ३ । पुनर्वसु के एक पाद पुष्य और आश्लेषा का कर्कराशि ४। मधा पूर्वाफाल्गुनी और उत्तरा. फाल्गुनी के एक पाद का सिंहराशि ५। उत्तराफाल्गुनी के तीन पाद हस्त और चित्रा के दो पाद का कन्याराशि६ । चित्रा के दो पाद खाति और विशाखा के तीन पाद का तुलाराशि ७ । विशाखा के एक पाद, अनुराधा और ज्येष्ठाका वृश्चिकराशि ८। मूल पूर्वाषाढा और उत्तराषाढा के एक पाद का धनराशि है। उत्तराषाढा के तीन पाद श्रवण और धनिष्ठा के दो पाद का मकरराशि १० । धनिष्ठा के दो पाद शतभिषा और पूर्वाभाद्रपदा के तीन पाद का कुंभ राशि ११ । पूर्वाभाद्रपद का एक पाद उत्तराभाद्रपद और रेवती का मीन राशि १२ होते है । राशिकार्यगिह गाम खलय करसणि,विवाय निवमिलण मामिरासीणं । विवाह गहगोचरे, जम्मो रासीणं अंगलं ॥ ६०॥ भावार्थ-गृहकार्य, नगर प्रवेश, खला बनाना ( खेतमेंसे धान्य काट कर जिस जमीन पर इकट्ठा करते है वह ) और राजा की मुलाकात, इत्यादिको नाम राशि प्रशस्त है विवाह प्रहगोचर आदिको जन्मराशि प्रशस्त है ॥ ६ ॥
SR No.034201
Book TitleJyotishsara Prakrit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherBhagwandas Jain
Publication Year1923
Total Pages98
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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