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________________ हिन्दी भाषा - टीका समेतः 1 ५८ ॥ जैसे- चूचेचोला दूथभाञ उत्तरभद्दपद, देदोचाची रेघई कहियं ॥ भावार्थ- दरेक नक्षत्रके चार चार चरण है, ये चार चरण अश्विनी नक्षत्र के हैं, लीलूलेलो ये चार चरण भरणी नक्षत्र के हैं, इस मुआफिक दरेकके चार चार चरण स्पष्ट हैं | बारह राशिके नाम w .१६ मेस विस मिहुन करके, सिंहो कन्नाइ तुला विच्छी य । धन मकर कुंभ मीनं, बारस रासी अणुक्कमलो ॥ ५६ ॥ भावार्थ-- मेष वृष मिथुन कर्क सिंह कन्या तुला वृश्चिक धम मकर कुंभ और मीन ये बारह राशि हैं ॥ ५६ ॥ नक्षत्र के चरण से राशि विचार अश्विनी भरणीकृत्तिकापादे मेषः ॥ १ ॥ कृत्तिकानां त्रयः पादा रोहिणी मृगशिरोऽर्द्ध वृषः ॥ २ ॥ मृगशिरोऽर्द्धमार्द्रा पुनर्वसुपादत्रयं मिथुनं ॥ ३ ॥ पुनर्वसुपादमेकं पुष्याश्लेषान्तं कर्कः ॥ ४ ॥ मघा च पुर्वाफाल्गुनी उत्तराफाल्गुनीपादे सिंहः ॥ ५ ॥ उत्तराणां त्रयः पादा हस्तचित्रार्द्ध कन्या ॥ ५ ॥ चित्राद्धं खातिविसाखापादत्र यं तुला ॥ ७ ॥ विसाखापादमेकमनुराधा ज्येष्ठान्तं वृश्चिकः ॥ ८ ॥ मूलं च पूर्वाषाढा उत्तराषाढपादे धनुः ॥ ६ ॥ उत्तराणां त्रयः पादाः श्रवणधनिष्ठार्द्ध मकर: ॥ १० धनिष्ठार्द्ध शतभिषा पूर्वाभाद्रपादत्रयं कुंभः ॥ ११ ॥ पुर्वाभाद्रपादमेकमुत्तराभाद्रपद रेवत्यन्तं मीनः ॥ १२ ॥
SR No.034201
Book TitleJyotishsara Prakrit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherBhagwandas Jain
Publication Year1923
Total Pages98
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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