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(२८४) भावप्रकाशनिघण्टुः भा. टी.।
कालेरंगकी सेमफलीको कोलशिंबी, कृष्णफना और पर्यंकपादिका भी कहते हैं। कोलशिंबी-वातनाशक, भारी, उण, कफ-पित्तकारक, वीर्यपद्धक, मंदाग्निकारक, वृष्य, रुचिकारक, विंबधकारक और भारी होती है ॥ ७५-७७ ॥
सौभांजनम् । सौभाजनफलं स्वादु कषाय कफपित्तनुत्। . शुलकुष्ठक्षयश्वासगुल्महृदीपनं परम् ॥ ७८ ॥ सोहोजनेकी फलियाँ स्वादु, कषाय, कफ-पित्तनाशक, अत्यन्त दीपन एवं शूल, कष्ठ, क्षय, शाल और गुल्मको हरनेवानी हैं ॥ ७८ ॥
वृताकम् । बंताकं स्त्री तु वार्ताकुभेटाकी भंट कापि च । वृंताकं स्वादु तीक्ष्णोष्णं कटुपाकमपित्तलम् ॥७९॥ ज्वरवातबलासघ्नं दीपनं शुकलं लघु। तद्वालं कफपितन वृद्धं पित्तकरं लघु ॥ ८॥ वृताकं पित्तलं किंचिदंगारपरिपाचितम् । कफमेदोऽनिलामघ्नमत्यर्थ लघु दीपनम् ।। ८१॥ तदेव हि गुरु स्निग्धं सतैललवणान्वितम् । अपरं श्वेतवृंताकं कुक्कुटांडसमं भवेत् ॥ ८२॥ तदर्शस्सु विशेषेण हितं हीन च पूर्वतः । घृताक, वातक, स्त्रीलिङ्गमें भण्टाकी, भण्टाका यह बैंगनके नाम हैं। इसको बैंगन, बताऊं और भण्टा भी कहते हैं। इसे अंग्रेजी में Brinjal कहते हैं। बैंगन-स्वादु, तीक्ष्ण, उष्ण, कटुसाकी, पित्तको न बढानेवाले ज्वरनाशक, वात-कफनाशक, दीपन,वीर्यवर्द्धक और हल्के होते हैं बैंगनके बानफल कफ-पित्त-नाशक होते है और पके हुए पित्तकारक तथा हल्के होते हैं। अंगारोंमें भुनेहुए बैंगनका फत्त कफ,मेद, वायु और आमको
• Ano ! Shrutgyanam