________________
(२७०) भावप्रकाशनिघण्टुः भा. टी.।
पोतकी। पोतक्युपोदिका सा तु मालवाऽमृतवल्लरी। पोतकी शीतला स्निग्धा श्लेष्मला वातपित्तनुत्॥८॥ अकंव्या पिच्छिला निद्राशुक्रदा रक्तपित्तजिव । बलदा रुचिकृत्पथ्या बृहणी तृप्तिकारिणी ॥ ९ ॥ पोतकी, उपोदिका, मालवा, अमृतवल्लरी यह पोईके शाकके नाम हैं। इसका अंग्रेजी में नाम Red malabar Niaht Ghods है।
पोई-शीतल, स्निग्ध, कफकारक, वात पित नाशक, स्वरको विगाड़नेवाली, पिच्छल, निद्राजनक, वीर्यवर्धक, रक्तपित्तनाशक, बलवर्धक, -रुचिकारक, पथ्य, बूंरण और तृप्तिकारक है ।। ८॥ ९ ॥
श्वेतरक्तमारिषः। मारिषो वाष्पिको मर्षः श्वेतो रक्तश्च स स्मृतः। मारिषो मधुरः शीतो विष्टंभी पित्तनुद्रुः ॥ १० ॥ वातश्लेष्मकरो रक्तपित्तनुद्विषमाग्निजित् । रक्तम! गुरुर्नाति स क्षारो मधुरः सरः ।। ११ ॥ श्लेष्मलः कटुकः पाके स्वल्पदोष उदीरितः । मारिष, वाष्पिक और मर्श यह मर्स के सागके नाम हैं। इसको शीलका साग भी कहते हैं। यह श्वेत और रक्त भेदसे दो प्रकारका होता है। मारिष शाक-मधुर, शीतल, विष्टभी, पित्तनाशक,भारी, वात कफकारक, रक्तपित्तनाशक, अग्निवैषम्यको दूर करनेवाला होता है । लाल रंगका माहिष-बहुत भारी नहीं है । खारा, मधुर, सर, कफकारक, पाक में कटु और अल्प दोषवाला कहा है॥ १० ॥ ११ ॥
तड्डलीयः। तंडुलीयो मेघनादः कांडेरस्तंडुलेरकः ॥ १२ ॥ भंडीरस्तंडुलीबीजो विषनश्वाल्पमारिषः। .