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हरीतक्यादिनिघण्टुः भा. टी. । (२७१)
. तण्डुलीयो लघुः शीतोरूक्षः पित्तकफात्र जिव ॥ १३॥ सृष्टमूत्रमलो रुच्यो दीपनो विषहारकः । पानीयतंडुलीयो यस्तत्कंचटमुदाहृतम् ॥ १४ ॥ कचटं तितकं रक्तपित्तानिलहरं लघु ।
तंडुलीय, मेघनाद, कांडेर, तण्डुलेरक, मंडीद, तण्डुलीबीज, पल्पमारिष यह चौलाईके नाम हैं। इसका अंग्रेजी नाम Hermaphrodite Amaranth है। चौलाई-हल्की, शीतल, रूक्ष, पित्त, कफ और रक्त विकारको जीतनेवाली, मूत्र मलको निकालनेवाली, रुचिकारक, दीपन और विषहर है । पानीयतंडुल भौर कचट यह जल चौलाईके नाम हैं। कचट - तिक्त, हल्की तथा रक्तपित्त और वातको हरनेवाली है ॥ १२-१४ ॥ पालिक्या । पालिक्या वास्तुकाकारा छदिका चीरितच्छदा १५ पालिक्या वातला शीता श्लेष्मला भेदनी गुरुः । विष्टंभनी मदश्वासपित्तरक्तकफापहा ॥ १६ ॥
पालिक्या, वास्तुकाकारा, छदिका, चीरितच्छदा यह पाल कके नाम हैं । इसे अंग्रेजी में Spinase कहते हैं । पालक - शीतल, वात कफकारक, चिकने स्वभाववाली, भेदनी, भारी, विष्टम्भी तथा मद, श्वास, पित्त, रक्त-विकार और कफनाशक है ॥ १५ ॥ १६ ॥
कालशाकम् ।
नाडीकं कालशाकं च श्राद्धशाकं च कालकम् । कालशाकं सरं रुच्यं वातकृत्कफशोथहृत् ॥ १७ ॥ बल्यं रुचिकरं मेध्यं रक्तपित्तहरं हिमम् ।
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नाडीक, कालशाक, श्राद्धशाक और कालका यह नाडीके नाम नाडीक-सारक, रुचिकारक, वातकारक, कफ य कफ और सुजननाशक, बलकारक, रुचिकारक, मेध्य, रक्तपित्तनाशक और शीतल है ॥ १७ ॥
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