SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 220
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १७८) भावप्रकाशनिघण्टुःभा. टी.। भेदन, भारी, वीर्यवर्धक, आयुको बढानेवाला और पित्त,दाह,रक्तविकार, भय और तृष्णा इनको निवारण करता है।पके हुए छोटे बेरको कोल कहते हैं। कोल-ग्राही, रुचिकारक, गरम, वातकारक, कफ, पित्तको बढानेवाला, भारी तथा दस्तावर है । अत्याध छोटे बेरको कर्कन्धू कहते हैं। कर्कन्धू-अम्ल, कसला, किंचित् मीठा, स्निग्ध, भारी, तिक्त, वात तथा. पित्तको नष्ट करनेवाला है। शुष्कवेर-भेदन करनेवाला, अग्निवर्धक हलका और तृष्णा,कानि तथा रक्तविकारोको जीतनेवाला है ।।७२-७६॥ प्राचीनामलकम् । प्राचीनामलकं लोके पानीयामलकं स्मृतम् । प्राचीनामलकं दोषत्रयजिज्ज्वरघाति च ॥ ७७॥ प्राचीनामलक और पानीयामलक यह पानी आमने के नाम हैं। इसको अंग्रेजीमें Hacaurtia Cataphracta कहते हैं । प्राचीनामलक-त्रिदोष तथा ज्वरको जीतने वाना ॥७॥ लवली। सुगन्धमूला लवली पांडुकोमलवल्कला। लवलीफलमश्माश कफपित्तहरं गुरु ॥ ७८॥ विशदं रोचनं सूक्षं स्वादम्लं तुवरं रसे । सुगन्धमूला, लवली, पांडु और कोमल वल्कला यह लवलीके नाम है। इसको हिंदीमें हरफारेवडी तथा अंग्रेजी में Ciccodisticha कहते हैं। लवलीका फल-भारी, स्वच्छ, रुचिकारक, रूक्ष, स्वादु, अम्ल, रसमें कसला और पथरी, अर्श, कफ तथा पित्तको हरनेवाला है ।। ७८ ॥ करमदः करमर्दका। करमर्दः सुषेणः स्यात्कृष्णपाकफलस्तथा॥ ७९ ॥ तस्माल्लघुफला या तु सा ज्ञया करमर्दिका।
SR No.034197
Book TitleHarit Kavyadi Nighantu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhav Mishra, Shiv Sharma
PublisherKhemraj Shrikrishnadas
Publication Year1874
Total Pages490
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy