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भावप्रकाशनिघण्टुः भा. टी. ।
मूली ।
तालमूली तु विद्वद्भिर्मुषली परिकीर्तिता ॥ १८२॥ मूषली मधुरा वृष्या वीय्यष्णा बृंहणी गुरुः । तिक्ता रसायनी इंति गुदजाननिलं तथा ॥ १८३॥
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तालमूली और मुसली यह मुसलीके नाम हैं । मुसली - मधुर, वीर्यवर्द्धक, उष्णवीर्य, बृंहणी, भारी, तिक, रसायन, बवासीरको हरनेवाली तथा वातनाशक है ॥। १८२ ॥ १८३ ॥ .
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शतावरी ।
शतावरी बहुसुता भीरुरिन्दीवरी वरी ।
नारायणी शतपदी शतवीर्य्या च पीवरी ॥ १८४ ॥ महाशतावरी चान्या शतमूल्यूर्ध्वकंटिका । सहस्रवीर्य्या हेतुश्च रिष्यप्रोक्ता महोदरी ॥ १८५ ॥ शतावरी गुरुः शीता तिक्ता स्वाद्वी रसायनी । मेधामिपुष्टिदा स्निग्धा नेत्र्या गुल्मातिसारजित् १८६ शुक्रस्तन्यकरी बल्या वातपित्तास्रशोथजित् । महाशतावरी मेध्या हृद्या वृष्या रसायनी ॥ १८७॥ शीतवीर्या नित्यर्शो ग्रहणीनयनामयान् ।
शतावरी, बहुसृता, भीरु, इन्दीवरी, वरी, नारायणी, शतपदी, शतवीय पीवरी यह शतावरीके नाम हैं । महाशतावरी, शतावरी, ऊर्ध्वकंटिका, सहस्रवीय, हेतु, रिष्यप्रोक्ता, महोदरी यह बड़ी शतावरीके नाम हैं । शतावरी भारी, शीतल, तिक्त, मधुर, रसायन, बुद्धिवर्द्धक, प्रनिवर्द्धक, स्त्रिग्ध नेत्रोंको हितकर, गुल्म और प्रतिसारको जीतनेवाली, वीर्य्य तथा दुग्ध वक, बलकारक, वात, पित्त, रक्त विकार और शोधको नष्ट करनेवाली है
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