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________________ यदि सूत्र रखने के समयमें छत्र ध्वजा पताकाओंका दर्शन होय तो निधि (खजाना) का संभव जानना. यदि घट जलसे पूर्ण रहे तो श्रेष्ठ प्राप्ति और पूर्ण घट और कलकल शब्द होय तो स्थिरता होती है ॥२०४॥ घरकी सब कोणोंमें विधिसे पूजाको करके ईशान दिशासे लेकर प्रदक्षिण क्रमसे सूत्रको रक्खे ॥ २०५ ॥ इसी विधिस स्तंभ और द्वारआदिका आरोपर्ण करे और भली प्रकार सावधानीसे वास्तु , विद्याकी विधिको करे ॥ २०६ ॥ नन्दा भद्रा जया रिक्ता पूर्णा नाम्नी जो क्रमसे शिला हैं उनमें नन्दामें पद्म को लिखे और भद्रामें सिंहा छत्रध्वजपताकानां दर्शने निधिसम्भवः। पूर्णकुम्भे तु सम्प्राप्तिः स्थैर्य कलकलध्वनौ ॥ २०४ ॥ गृहकोणेषु सर्वेषु पूजां कृत्वा विधानतः। ईशानमादितः कृत्वा प्रादक्षिण्येन विन्यसेत् ॥२०५॥ अनेनैव विधानेन स्तम्भद्वारादिरोपणम् । वास्तुविद्याविधान तु कारयेत्सुसमाहितः ॥२०६॥ नन्दा भद्रा जया रिक्ता पूर्णा नाम्नी यथाक्रमम् । नन्दायां पद्ममालिख्य भद्रा सिंहासन तथा ॥२०७॥ जयायां तोरणं छवं रिक्तायां कर्म एव च । पूणायां च चतुर्बाहु विष्णुं संलेखयेद्बुधः ॥२०८॥ ॐभूर्भुवः स्वरिति तथा सर्वानावाहनं स्मृतम् । ब्रह्मा विष्णुश्च रुद्रश्च ईशानश्च सदाशिवः॥२०९॥ एते पञ्चैव पञ्चेषु भूतानावादयेत्पुनः । सपनं च ततः कुर्याद्विधिदृष्टेन कर्मणा ॥२१०॥ पञ्चभिः कलशेर्युक्तास्तासां नामान्यतः शृणु । पञ चव महापद्म शङ्ख च विजयं तथा ॥२१॥ सनको ॥२०७ ॥ जयामें तोरण, रिक्तामे च और कर्मको करे और पूर्नामें चार भुजावाले विष्णुको यत्नसे स्थापन करे ॥ २०८ ॥ ॐ भूर्भुवः स्वः इस मंत्रको पढकर सबका आवाहन कहा है ब्रह्मा विष्णु रुद्र ईशान और सदाशिव ॥ २०९ । इन पांचोंका आवाहन करे| और पांचोंके स्थानमें फिर भूतोंका आवाहन करे फिर शास्त्रकी विधिमें देखेहुए कर्मसे स्नान करावे ॥ २१ ॥ सावधानहुए ऋत्विज पांच |
SR No.034186
Book TitleVishvakarmaprakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages204
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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