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________________ भा. टी. परिखा (खाँई) द्वार रथ्या (गली) स्तम्भ जो प्रासाद (घरों) के होते हैं. उनके निकसनेके मार्ग और सीमाके अन्तमें अन्नान्तर ॥३१॥ दिशान्तरोंका विभाग वस्त्र और आयोधनका विभाग और मार्गका परिमाण क्रोश गव्यूति और योजनोंसे होता है ॥ ३२ ॥ खात ऋकच ॥ इनकी राशि प्रासादका आंगन और आयत इनको नौ ९ जिसमें यव हों ऐसे अंगुलके हाथसे मापकर बनवावे ॥ ३३ ॥ अयोधनचर्म और चण्ड आयुध वापी कूपका और हाथी और घोडोंका प्रमाण ॥ ३४ ॥ इक्षुयन्त्र ( कोल्हू) आरघण्ट हलवूप युग (आ) ध्वजा और परिखाद्वाररथ्याश्च स्तम्भाः प्रासादवेश्मनाम् । तेपां निगममार्गे च सीमान्तेऽत्रान्तराणि च ॥३१॥ दिशान्तरविभागाश्च वस्त्रायो धनयोस्तथा । अध्वनः परिमाणं च कोशगव्यूतियोजनः ॥ ३२ ॥ खातककचराशी च प्रासादायनमापनम् । नवयावांगले हस्ते तस्य मानं प्रचक्षते ॥३३॥ आयोधनानि चर्माणि तथा चण्डायुधानि च । वापीकूपप्रमाणानि तथा च गजवाजिनाम् ॥३४॥ इक्षयंत्रारघण्टाश्च हलयूपयुगध्वजाम् । अतोयानि च नावश्च शिल्पिनां वाप्युपस्करम् ॥३५॥ पादुके वदशी छत्र धर्मोद्यानानि चैव हि । मात्राष्टयवहस्तेन न च दण्डांश्च मापयेत् ॥ ३६॥ जालन्धरे हस्तसंख्याऽवधे च दण्डकास्तथा। मध्यदेशे कोशसंख्या द्वीपान्तरे तु योजनम् ।। ३७॥ चतुर्विशत्यङ्गुलस्तु हस्तमान प्रचक्षते । चतुहस्तो भवेदण्डः कोशं तद्विसहस्रकम् ॥३८॥ IIजिनमें जल न हो ऐसी नाव और शिल्पियोंकी गजआदि वस्तु ॥ ३५ ॥ पादुक वदशी ( कोठी) छत्र धर्मके उद्यान इनका प्रमाण आठ ८ | जोके हाथसे करे और दण्डोंको न माप ॥ ३६॥ जालन्धरमें हस्तकी संख्या और अवधमें दण्डकी और मध्यदेशमें क्रोशकी संख्या और द्वीपान्तरमें योजनकी संख्या होती है ॥ ३७ ॥ चौवीस अंगुलोंसे हाथका प्रमाण कहते हैं चार हाथका दण्ड और दो सहस्र हाथका १ संख्यावेधे च इति पाटान्तरम् । | ॥३१॥
SR No.034186
Book TitleVishvakarmaprakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages204
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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