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स्थूल शरीरका वर्णन
मज्जास्थिमेदःपलरक्तचर्म
त्वगाह्वयैर्धातुभिरेभिरन्वितम् । पादोरुवक्षोभुजपृष्ठमस्तकै
रङ्गैरुपाङ्गैरुपयुक्तमेतत् ॥४॥ अहंममेति प्रथितं शरीरं
मोहास्पदं स्थूलमितीर्यते बुधैः। मज्जा, अस्थि, मेद, मांस, रक्त, चर्म और त्वचा-इन सात धातुओंसे बने हुए तथा चरण, जंघा, वक्षःस्थल (छाती), भुजा, पीठ और मस्तक आदि अंगोपांगोंसे युक्त, 'मैं और मेरा' रूपसे प्रसिद्ध इस मोहके आश्रयरूप देहको विद्वान् लोग 'स्थूल शरीर' कहते हैं। नभोनभस्वद्दहनाम्बुभूमयः
सूक्ष्माणि भूतानि भवन्ति तानि॥७५॥ परस्परांशैमिलितानि भूत्वा
स्थूलानि च स्थूलशरीरहेतवः। मात्रास्तदीया विषया भवन्ति
शब्दादयः पञ्च सुखाय भोक्तुः ॥७६ ॥ आकाश, वायु, तेज, जल और पृथिवी-ये सूक्ष्म भूत हैं। इनके अंश परस्पर मिलनेसे स्थूल होकर स्थूल शरीरके हेतु होते हैं और इन्हींकी तन्मात्राएँ भोक्ता जीवके भोगरूप सुखके लिये शब्दादि पाँच विषय हो जाती हैं। य एषु मूढा विषयेषु बद्धा
रागोरुपाशेन सुदुर्दमेन। आयान्ति निर्यान्त्यध ऊर्ध्वमुच्चैः
स्वकर्मदूतेन जवेन नीताः॥७७॥