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________________ पातालखण्ड] . युद्धमे लवके द्वारा सेनाका संहार और कालजिनका वध . ५२९ R कालजित्ने कहा-बालक ! तुम्हारा जन्य किस दाहिनी भुजाको बीचसे काट डाला। कटा हुआ हाथ वंशमें हुआ है? तुम किस नामसे प्रसिद्ध हो? मुझे तलवारसहित पृथ्वीपर जा पड़ा। खड्गधारी हाथको तुम्हारे कुल, शील, नाम और अवस्थाका कुछ भी पता कटा देख सेनापतिने क्रोधमें भरकर बायें हाथसे लवपर नहीं है। इसके सिवा, मैं रथपर बैठा हूँ और तुम पैदल गदा मारनेकी तैयारी की। इतनेहीमें लवने अपने तीखे हो । ऐसी दशा में मैं तुम्हें अधर्मपूर्वक कैसे परास्त करूँ ? लव बोले-कुल, शील, नाम और अवस्थासे क्या लेना है? मैं लव हूँ और लवमात्रमें ही समस्त शत्रु-योद्धाओंको जीत लूंगा [मुझे पैदल जानकर संकोच मत करो], लो, तुम्हें भी अभी पैदल किये देता है। ऐसा कहकर बलवान् लवने धनुषपर प्रत्यञ्चा चढ़ायी तथा पहले अपने गुरु वाल्मीकिका, फिर माता जानकीका स्मरण करके तीखे बाणोंको छोड़ना आरम्भ किया, जो तत्काल ही शत्रुके प्राण लेनेवाले थे। तब कालजित्ने भी कुपित होकर अपना धनुष चढ़ाया तथा अपने युद्ध-कौशलका परिचय देते हुए बड़े वेगसे लवपर बाणोंका प्रहार किया। किन्तु कुशके छोटे भाईने क्षणभरमें उन सभी बाणोंको काटकर एक-एकके सौ-सौ टुकड़े कर दिये और आठ बाण मारकर सेनापतिको भी रथहीन कर दिया। रथके नष्ट हो जानेपर वे अपने सैनिकोद्वारा लाये हुए हाथीपर सवार हुए। वह हाथी H D बड़ा ही वेगशाली और मदसे उन्मत्त था। उसके बाणोसे उनकी उस याँहको भी भुजबंदसहित काट मस्तकसे मदकी सात धाराएँ फूटकर बह रही थीं। गिराया। तदनन्तर, कालानिके समान प्रज्वलित खड्ग कालजित्को हाथीपर बैठे देख सम्पूर्ण शत्रुओपर विजय हाथमें लेकर उन्होंने सेनापतिके मुकुटमण्डित मस्तकको पानेवाले वीर लवने हंसकर उन्हें दस याणोंसे वींध भी धड़से अलग कर दिया। डाला। लवका पराक्रम देख कालजितके मनमें बड़ा सेनाध्यक्षके मारे जानेपर सेनामें महान् हाहाकार विस्मय हुआ और उन्होंने एक तीक्ष्ण एवं भयङ्कर मचा। सारे सैनिक क्रोधमें भरकर लवका वध करनेके परिघका प्रहार किया, जो शत्रुके प्राणोंका अपहरण लिये क्षणभरमें आगे बढ़ आये, परन्तु लवने अपने करनेवाला था। किन्तु लवने तुरंत ही उसे काट गिराया। बाणोंकी मारसे उन सबको पीछे खदेड़ दिया। कितने ही फिर उसी क्षण तलवारसे हाथीकी सँड़ काट डाली और छिन्न-भिन्न होकर वहीं ढेर हो गये और कितने ही उसके दाँतोपर पैर रखकर वे तुरंत उसके मस्तकपर चढ़ रणभूमि छोड़कर भाग गये। इस प्रकार सम्पूर्ण गये। वहाँ सेनापतिके मुकटके सौ और कवचके हजार योद्धाओंको पीछे हटाकर लव बड़ी प्रसनताके साथ टुकड़े करके उनके मस्तकका बाल खींचकर उन्हें सेनामें जा घुसे। किन्हींकी बहि, किन्हींक पैर, किन्हींक धरतीपर गिरा दिया। फिर तो सेनापतिको बड़ा क्रोध कान, किन्हींकी नाक तथा किन्हींके कवच और कुण्डल हुआ और उन्होंने लवका वध करनेके लिये तलवार कट गये। इस प्रकार सेनापतिके मारे जानेपर सैनिकोंका हाथमें ली। उन्हें तलवार लेकर आते देख लवने उनकी भयङ्कर संहार हुआ। युद्धमें आये हुए प्रायः सभी वीर
SR No.034102
Book TitleSankshipta Padma Puran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages1001
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size73 MB
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