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________________ ४९० • अर्चयस्व हृषीकेशं यदीच्छसि पर पदम् . [संक्षिप्त पयपुराण अश्वको पकड़ लिया है। आज उस राजाके साथ वीरताके अभिमानमें आकर राजाज्ञाका उल्लङ्घन करेंगे, तुमलोगोंका बड़ा भयङ्कर युद्ध होगा। उसमें बड़े-बड़े वे महाराजके पुत्र या भाई ही क्यों न हो, वधके योग्य समझे जायेंगे। फिरसे डंका बजाकर उपर्युक्त घोषणा CrimaAR दुहराई जाती है-सभी वीर सुन लें और सुनकर शीघ्र ही अपने कर्तव्यका पालन करें। विलम्ब नहीं होना चाहिये।' नरश्रेष्ठ वीरमणिके सैनिक श्रेष्ठ योद्धा थे। उन्होंने यह घोषणा अपने कानों सुनी और कवच आदिसे सुसज्जित होकर वे महाराजके पास गये। उनकी दृष्टि में युद्ध एक महान् उत्सवके समान था; उसका अवसर पाकर उनका हृदय हर्ष और उत्साहसे भर गया था। राजकुमार रुक्माङ्गद भी अपने मनके समान वेगशाली रथपर सवार होकर आये। उनके छोटे भाई शुभाङ्गद भी अपने सुन्दर शरीरपर बहुमूल्य रत्नमय कवच धारण करके रणोत्सवमें सम्मिलित होनेके लिये प्रस्थित हुए। महाराजके भाईका नाम था वीरसिंह। वे सब प्रकारके अस्त्र-शस्त्रोंकी विद्या प्रवीण थे। राजाज्ञाके अनुसार वे भी दरबारमें गये; क्योंकि महाराजका शासन कोई लाँघ नहीं सकता था। राजाका भानजा बलमित्र भी उपस्थित बलवान् और शूरवीर मारे जायेंगे। इसलिये तुम पूरी हुआ तथा सेनापति रिपुवारने भी चतुरङ्गिणी सेना तैयार तैयारीके साथ यहाँ स्थिरतापूर्वक खड़े रहो तथा सेनाका करके महाराजको इसकी सूचना दी। ऐसा व्यूह बनाओ; जिसमें शत्रुके सैनिकोंका प्रवेश करना तदनन्तर राजा वीरमणि सब प्रकारके अस्त्र-शस्त्रोंसे अत्यन्त कठिन हो । श्रेष्ठ राजा वीरमणिसे युद्ध करते समय भरे हुए अपने श्रेष्ठ रथपर सवार हुए । वह रथ बहुत ऊँचा तुम्हें बड़ी कठिनाइयोंका सामना करना पड़ेगा; तथापि था और उसके ऊँचे-ऊँचे पहिये मणियोंके बने हुए थे। अन्तमें विजय तुम्हारी ही होगी। भला, सम्पूर्ण जगत्में चारों ओरसे भेरियाँ बज उठीं। उनके बजानेवाले बहुत कौन ऐसा वीर है, जो भगवान् श्रीरामको पराजित कर अच्छे थे। भेरी बजते ही राजाकी सेना संग्रामके लिये सके।' ऐसा कहकर नारदजी वहाँसे अन्तर्धान हो गये प्रस्थित हुई। सर्वत्र कोलाहल छा गया। महाराज वीरमणि और देवता तथा दानवोंके समान उन दोनों पक्षोंका युद्धके उत्साहसे युक्त होकर रणक्षेत्रकी ओर गये। राजाकी भयङ्कर युद्ध देखनेके लिये आकाशमें ठहर गये। सेना आ पहुंची। शस्त्र-सञ्चालनमें चतुर रथियोंके द्वारा उधर शूरशिरोमणि राजा वीरमणिने रिपुवार नामक समूची सेनामें महान् कोलाहल छा रहा है, यह देखकर सेनापतिको बुलाया और उसे अपने नगरमें ढिंढोरा शत्रुघ्नने सुमतिसे कहा- 'मन्त्रिवर ! मेरे अश्वको पिटवानेका आदेश दिया। सेनापतिने राजाको आज्ञाका पकड़नेवाले बलवान् राजा वीरमणि मुझसे युद्ध करनेके पालन किया। प्रत्येक घर, गली और सड़कपर डंकेकी लिये विशाल चतुरङ्गिणी सेनाके साथ आ गये; अब किस आवाज सुनायी देने लगी। लोगोंको जो घोषणा सुनायी तरह युद्ध आरम्भ करना चाहिये। कौन-कौन महाबली गयी, वह इस प्रकार थी- 'राजधानीमें जो-जो वीर योद्धा इस समय युद्ध करेंगे? उन सबको आदेश दो; उपस्थित हैं, वे सभी शत्रुघ्रपर चढ़ाई करें। जो लोग जिससे इस संग्राममें हमें मनोवाञ्छित विजय प्राप्त हो।'
SR No.034102
Book TitleSankshipta Padma Puran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages1001
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size73 MB
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